लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।
क्या ऐसा संभव है कि एक महिला एक साल में एक-दो नहीं बल्कि चार-चार बार बच्चों को जन्म दे दे? जवाब होगा नहीं। मगर ये कारनामा यूपी के स्वास्थ्य विभाग ने कर दिखाया। विभागीय जांच में पता चला कि एक ही महिला की कई बार डिलीवरी दिखाकर उसे जननी सुरक्षा योजना के तहत चार-चार बार भुगतान कर दिया गया। मामला प्रकाश में आने पर जहां पूरे स्वास्थ्य विभाग में हडकंप मचा है। विभागीय अधिकारी मामले को दबाने के प्रयास में लगे हुए हैं।
ये है जननी सुरक्षा योजना
जननी सुरक्षा योजना में संस्थागत प्रसव पर ग्रामीण क्षेत्रों में 1400 रुपए और शहरी क्षेत्र में 1000 रुपये का अनुदान सीधे खातों में भेजा जाता है। इस राशि का पेशा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से मिलने वाली अनुदान राशि के तहत जिला स्तर पर अफसरों की संस्तुति के बाद ही दिया जाता है।
ऐसे हुआ खुलासा
नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) से सभी राज्यों को स्वास्थ्य योजनाओं के लिए बजट जारी किया जाता है। प्रदेश के मिशन निदेशक की ओर से जननी सुरक्षा योजना के तहत प्रदेश के सभी जिलों के लिए दो अरब 83 करोड़ 59 लाख 42 हजार 960 रूपये की धनराशि अनुदान के लिए अवमुक्त की गई थी। ये राशि वित्तीय वर्ष 2022-23 के तहत सभी जनपदों को भेजी गई। इस बजट से दी गई अनुदान राशि की बाबत जब वित्त नियंत्रक राष्ट्रीय सुरक्षा मिशन ने जांच कराई तो खुलासा हुआ कि बड़ा गोलमाल हुआ है। उत्तर प्रदेश के एनएचएम के वित्त नियंत्रक बृजबिहारी कुशवाहा की जांच रिपोर्ट के मुताबिक इस अनुदान राशि के भुगतान संबंधी जांच हुई तो पता चला कि प्रदेश के बांदा जिले में एक दो नहीं बल्कि 952 ऐसी महिलाओं के खाते में अनुदान राशि भेजी गई जिनकी एक साल में ही कई-कई बार डिलीवरी दर्शाकर उन्हें जननी सुरक्षा योजना की अनुदान राशि का भुगतान कर दिया गया।
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बांदा में किस केंद्र पर कितना फर्जीवाडा
पीएचसी तिंडवाडी 384 केस 5,29,200.00
पीएचसी महुआ 100 केस 1,40,000.00
सीएचसी नरैनी 190 केस 2,64,000.00
सीएचसी बबेरू 80 केस 1,11,600.00
पीएचसी कामसिन 71 केस 99,400.00
पीएचसी बिसांडा 40 केस 54,800.00
पीएचसी बदोखर खुर्द 6 केस 8,400.00
सरकारी मेडिकल कालेज 2 केस 2,800.00
जिला महिला अस्पताल 28 केस 34,800.00
सीएचसी अटारा 6 केस 8,400.00
सीएचसी जसपुरा 45 केस 63,000.00
वित्त नियंत्रक बोले-पैसा वापस दो दोषियों पर एक्शन हो
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उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यानि नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के वित्त नियंत्रक बृजबिहारी कुशवाहा की ओर से इस संबंध में जो रिपोर्च जारी की है उसमें बेहद गंभीर टिप्पणी की गई है। जांच रिपोर्ट में उन्होंने लिखा है कि एक साल में कई बार अनुदान जारी किया जाना गंभीर वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है। लिहाजा इस प्रकरण में जांच कराकर अनियमित भुगतान की गयी धनराशि को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के खाते में जमा कराने और प्रकरण में शामिल संबंधित अधिकारी व कर्मचारियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई करते हुए अवगत कराया जाये।
भूल गए जेल-बेल की कहानी
ऐसा नहीं कि यूपी में सरकारी अनुदान में घोटाले पहले नहीं हुए,ऐसा नहीं कि सरकारी राहत राशि में घोटालों का ये पहला मामला बल्कि इससे पहले भी ऐसे मामले सामने आते रहे हैं। कई अफसर आज भी एनएचआरएम समेत कई घोटालों में जेल काट रहे हैं। तो कुछ बेल की बांट जोह रहे हैं। इसके बावजूद इस तरह की खुराफात सोचने को मजबूर करती है क्या पुराने केस में हुई कार्रवाई से भी स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों में सुधार नहीं आया।
हड़कंप मचा सब जिलों में जांच हुई शुरू
वित्त नियंत्रक की इस जांच रिपोर्ट और निर्देश के बाद पूरे सूबे में हडकंप मचा है। मामले की सभी जिलों में मुख्य चिकत्सा अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए गए हैं। ताकि कहीं और भी ऐसा हुआ हो जो इस तरह के प्रकरणों से पर्दा उठ सके।