Advertisment

शिक्षा की मांग के साथ कांवड़ लेकर विधानसभा पहुंचे सपा विधायक

लखनऊ, उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश मानसून सत्र का पहला दिन बेहद हंगामेदार रहा। सपा विधायक अतुल प्रधान स्कूल मर्जर के खिलाफ कांवड़ लेकर विधानसभा पहुंच गए।

author-image
Mohd. Arslan
Screenshot_2025-08-11-13-03-01-38_6012fa4d4ddec268fc5c7112cbb265e7

सपा विधायक अतुल प्रधान Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

उत्तर प्रदेश विधानसभा मानसून सत्र का सोमवार से आगाज़ हो गया है। चार दिन तक चलने वाले इस सत्र का पहला ही दिन बेहद हंगामे दार रहा। एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का पुलिस बैरिकेटिंग फांदकर चुनाव आयोग कूच करने का मामला चर्चा में रहा वहीं यूपी में उनके विधायक भी उनसे पीछे नहीं रहे। सपा विधायकों के हंगामे के चलते सदन को भी कुछ देर स्थगित करना पड़ा।

अतुल प्रधान ने विरोध का निकाला अजीबोरगीब तरीका

उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन एक अनूठा नजारा देखने को मिला, जब मेरठ की सरधना विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान कांवड़ लेकर विधानसभा परिसर पहुंच गए। उनकी इस अनोखे विरोध दर्ज कराने के तरीके ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा।

स्कूल मर्जर के विरोध में उठाई कांवड

विधायक अतुल प्रधान द्वारा लाई गई कांवड़ पर दो मुख्य संदेश लिखे हुए थे। एक तरफ 'हमें चाहिए पाठशाला' और दूसरी तरफ 'हमें नहीं चाहिए मधुशाला' का नारा था। इस प्रतीकात्मक विरोध के जरिए उन्होंने प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की दयनीय स्थिति पर सवाल खड़े किए। अतुल प्रधान ने इस मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार की स्कूल मर्जर नीति पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर सरकारी स्कूलों को बंद करने का नियम किसने बनाया है। विधायक ने कहा कि 2019 में पहले भी इसी तरह स्कूलों को बंद करने का काम किया गया था।

गरीब बच्चों की शिक्षा पर सरकार को घेरा

सपा विधायक ने इस बात पर जोर दिया कि सरकारी स्कूलों में मुख्यतः गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं। उन्होंने कहा, "आखिर सरकारी स्कूलों में कौन पढ़ता है? यहां गरीब-मजदूर, छोटे-मोटे व्यापार करने वालों के बच्चे पढ़ते हैं।" उनका कहना था कि इन स्कूलों को बंद करके सरकार गरीब तबके की शिक्षा के अधिकार को छीन रही है। इस अनोखे विरोध प्रदर्शन के जरिए विधायक प्रधान ने शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया और सरकार से मांग की कि पाठशालाओं को बंद करने के बजाय उन्हें और बेहतर बनाने पर ध्यान दिया जाए

Advertisment
Advertisment
Advertisment