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दारुल उलूम में दस्तारबंदी कार्यक्रम Photograph: (YBN )
खुदा की आखिरी किताब कुरान पाक को हिफ्ज़ करना बहुत बड़ी नेमत है। इस किताब को समझना, उसके आदेश पर अमल करना और उसकी शिक्षाओं के अनुसार जिन्दगी गुजारना एक मुसलमान को जन्नत का हकदार बनाता है। इन विचारों को नाजिम दारूल उलूम फरंगी महल मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, इमाम ईदगाह लखनऊ ने बुधवार को जाहिर किया।
दारुल उलूम फरंगी महल में दस्तारबंदी कार्यक्रम आयोजित
वह आज दारूल उलूम फरंगी महल के सलाना जलसा दस्तारबन्दी में अध्यक्षीय सम्बोधन कर रहे थे। मौलाना खालिद रशीद ने कहा कि यह दारूल उलूम अल्लामा निजामुद्दीन फरंगी महली बानी दर्से निज़ामी 1701 में अपनी कयामगाह फरंगी महल में कायम किया गया था। यह देश का पहला मदरसा घोषित किया गया। उन्होंने कहा कि वालिद मरहूम मौलाना अहमद मियाँ फरंगी महली ने जनवरी 2001 में उसकी दोबारा स्थापना की।
शाहीन अकादमी में दी जा रही दीनी शिक्षा
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि ईमान व अकीदे की हिफाजत और इस्लामी शरीअत की तालीम के लिए मदरसों का वुजूद बहुत जरूरी है। उन्होने मदरसों के अध्यापकों और संचालकों की प्रशंसा की। वह अपने सीमित साधन के साथ इस्लामी शिक्षा को आम करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। उन्होने कहा कि उलमा-ए-फरंगी महल के शैक्षिक मिशन को पूरा करने के लिए दारूल उलूम के साथ साथ शाहीन एकेडमी भी सरगरम अमल है, जिसमें अन्य छात्रों के साथ साथ हाफिज को भी दीनी शिक्षा देने की व्यवस्था है।
हाफिज के अभिभावकों को कयामत के दिन मिलेगा ताज
मौलाना मुश्ताक ने जलसे में कुरान पाक की अजमत व फजीलत पर तकरीर की। उन्होने कहा कि अन्य शिक्षा के मुकाबले में कुरान पाक को हिफ्ज करना एक ऐसा विशेष अमल है जो केवल खुदा पाक की खुशी हासिल करने के लिए किया जाता है। मुफ्ती अतीकुर्रहमान, अध्यापक दारूल उलूम ने कुरान पाक और हदीस के साथ सीरत नबवी के हवालों से खिताब किया। उन्होने कहा कि जो वालिदैन (मां-बाप) अपनी औलाद को कुरान पाक का हाफिज कराते हैं खुदा पाक उनको कयामत के दिन ऐसा चमकता हुआ ताज पहनाएगा जिसकी रौशनी सूरज से भी ज्यादा तेज होगी।
दस्तारबंदी कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शामिल हुए लोग
इस अवसर पर 2025 में हिफ्ज कुरान मुकम्मल करने वाले कई छात्रों की दस्तारबन्दी मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने की। इन छात्रों को सनदें भी दी गयीं और अन्य छात्रों को वार्षिक रिपोर्ट कार्ड भी दिये गए। जलसे में छात्रों के वालिदैन (मां बाप), सरपरस्त हजरात जिनमें औरतें भी शामिल थीं और बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।