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क्षय रोगियों में बढ़ रहे ब्रेन टीबी के लक्षण
टीबी (क्षय रोग) सिर्फ फेफड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर मस्तिष्क तक भी पहुंच सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार कुल टीबी मरीजों में से लगभग चार प्रतिशत को ब्रेन टीबी की समस्या होती है। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. राजेश वर्मा का कहना है कि यह बीमारी मस्तिष्क को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है और समय पर इलाज न मिलने पर जटिलताएं बढ़ सकती हैं। ब्रेन टीबी तब होती है जब टीबी का बैक्टीरिया खून के जरिए मस्तिष्क तक पहुंच जाता है। यह रोग केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) को प्रभावित करता है, जिससे दिमाग में सूजन आ सकती है और तंत्रिकाएं कमजोर हो सकती हैं।
लक्षणों को नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी
विश्व टीबी दिवस के अवसर पर आयोजित जागरूकता गोष्ठी में प्रो. वर्मा ने बताया कि ब्रेन टीबी के लक्षण शुरुआती दौर में मामूली लग सकते हैं, जिससे मरीज इन्हें अनदेखा कर देते हैं। लक्षणों में लगातार सिरदर्द, उल्टी, धुंधली या दोहरी दृष्टि, मांसपेशियों में कमजोरी और कभी-कभी स्ट्रोक जैसी गंभीर स्थितियां शामिल हो सकती हैं। उन्होंने बताया कि अगर इन लक्षणों को समय रहते पहचाना जाए तो उचित इलाज से मरीज को ठीक किया जा सकता है।
सही इलाज और पोषण से होगा बचाव
प्रो. वर्मा ने बताया कि टीबी को पूरी तरह खत्म करने के लिए मरीज को नियमित दवाएं लेनी चाहिए और इलाज की पूरी अवधि तक ध्यान देना चाहिए। इसके साथ ही, पोषण का भी खास ख्याल रखना जरूरी है, क्योंकि कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में यह बीमारी तेजी से फैल सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि टीबी की पहचान होते ही सही दवा और संतुलित आहार से मरीज को जल्द स्वस्थ किया जा सकता है। सरकार भी टीबी उन्मूलन के लिए कई योजनाएं चला रही है, जिससे इस बीमारी पर काबू पाया जा सके। जागरूकता और सतर्कता से ही इस गंभीर बीमारी को हराया जा सकता है।