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लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश सरकार ने तकनीकी, प्रबंधन और फार्मेसी कॉलेजों की संबद्धता प्रक्रिया में अहम बदलाव किया है। अब नए शैक्षणिक सत्र से तकनीकी संस्थानों को एकमुश्त तीन से पांच वर्षों की दीर्घकालिक संबद्धता प्रदान की जाएगी। इससे हर साल संबद्धता नवीनीकरण की अनिवार्यता खत्म हो जाएगी, जिससे संस्थानों को बड़ी राहत मिलेगी।
गुणवत्ता आधारित संस्थानों को मिलेगा लाभ
प्राविधिक शिक्षा विभाग की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार, नैक, एनबीए या एनआईआरएफ जैसी संस्थागत मान्यताओं से प्रमाणित कॉलेजों को सीधे पांच वर्षों के लिए संबद्धता प्रदान की जाएगी। वहीं, अन्य नए डिग्री स्तरीय इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, फार्मेसी और आर्किटेक्चर संस्थानों को तीन साल की प्रारंभिक संबद्धता दी जाएगी।
कम दाखिले पर होगी समीक्षा
अपर मुख्य सचिव नरेंद्र भूषण के जारी दिशानिर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई कॉलेज लगातार तीन वर्षों तक 50 प्रतिशत से कम दाखिले करता है, तो उसे चौथे वर्ष दोबारा संबद्धता के लिए आवेदन करना होगा। इस स्थिति में सीटों की संख्या घटाई जा सकती है और संबद्धता का विस्तार भी रोका जा सकता है।
विश्वविद्यालय को संबद्धता रद्द करने का अधिकार
इसके अतिरिक्त, यदि किसी संस्थान के खिलाफ कोई शिकायत प्राप्त होती है या विश्वविद्यालय अथवा राज्य सरकार उचित समझे, तो जांच कराई जा सकती है। साथ ही, विवि को यह अधिकार भी होगा कि वह उचित कारणों का हवाला देते हुए किसी संस्थान की संबद्धता को निलंबित या रद्द कर सके। इस पहल का उद्देश्य न केवल शिक्षा व्यवस्था को सरल बनाना है, बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना भी है।