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आरटीई के तहत 10 हजार बच्चों को नहीं मिला प्रवेश Photograph: (Social Media)
निजी स्कूल सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाने से बाज नहीं आ रहे हैं। सरकार के निर्देश के बावजूद तमाम स्कूल निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत पात्र बच्चों को प्रवेश देने से आनाकानी रहे हैं। परिणामस्वरूप अप्रैल का आधा महीना बीतने के बावजूद कुल 18 हजार पात्र बच्चों में से केवल 8 हजार को ही अब तक दाखिला मिल पाया है। जबकि शेष 10 हजार बच्चे अब भी स्कूलों की देहरी पर खड़े हैं। इन बच्चों के अभिभावक बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) कार्यालय और निजी स्कूलों के चक्कर लगाक परेशान हो चुके हैं। उनका आरोप है कि कई स्कूल तो जिला प्रशासन और बीएसए से मिली नोटिस की भी अवहेलना कर रहे हैं। इस लापरवाही के चलते बच्चों के भविष्य पर संकट मंडरा रहा है।
75 स्कूल बच्चों को दाखिला देने से बच रहे
बेसिक शिक्षा अधिकारी राम प्रवेश के अनुसार 75 स्कूल ऐसे हैं, जो बच्चों को दाखिला देने से बच रहे हैं। जबकि प्रशासन ने शत-प्रतिशत प्रवेश सुनिश्चित करने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। हालांकि, जमीनी हकीकत इससे उलट है। स्कूल संचालकों का तर्क है कि सरकार की ओर से 450 रुपये प्रतिमाह शुल्क प्रतिपूर्ति दी जाती है। वह बेहद कम है। वहीं निजी स्कूलों की मनमानी के चलते बच्चों का भविष्य और अभिभावकों की उम्मीदें स्कूलों और प्रशासनिक निर्देशों के बीच झूल रही हैं।
ये स्कूल नहीं दे रहे प्रवेश
सिटी मोंटेसरी स्कूल, लखनऊ पब्लिक स्कूल, न्यू पब्लिक इंटर कालेज, ब्राइटलैंड स्कूल, सेंट मेरीज़ इंटर कालेज, सिटी इंटरनेशनल स्कूल, एक्सान मांटेसरी स्कूल, महार्षि विद्या मंदिर, सेंट जोसेफ कालेज, सेंट जोसेफ मान्टेसरी स्कूल, सनशाइन. पब्लिक स्कूल, द लखनऊ पब्लिक कालेजिएट, गी डाईमाइल एकेडमी, जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल, लोयोला इंटरनेशनल स्कूल, डैफोडिल कांवेंट स्कूल, संस्कार पब्लिक स्कूल, गुरुकुल अंकादमी, कमल, दिल्ली पब्लिक इंटर कालेज, एमिटी इंटरनेशनल स्कूल, स्प्रिंग डेल स्कूल, स्प्रिंग डेल कालेज, दिल्ली पब्लिक स्कूल, माउंट बेरी कांवेंट स्कूल, माउंट इंटर कालेज, नवयुग रेडिएंस सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल, बाल गाइड स्कूल, कैपिटल पब्लिक स्कूल, कैपिटल इंटर कालेज, टेंडर हार्ट्स।