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उपभोक्ता परिषद के वेबीनार में जुड़े किसान Photograph: (Social Media)
लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। यूपी के तीन लाख किसानों को सरकार की मुफ्त बिजली योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। यह योजना किसानों को बिजली के बोझ से राहत देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। सबसे बड़ी समस्या यह है कि दो साल पहले हजारों किसानों के जारी किए गए गलत बिजली बिल अभी तक सही नहीं हुए हैं। इससे किसानों की परेशानियां बढ़ रही हैं। शनिवार को उपभोक्ता परिषद के वेबिनार में किसानों ने अपनी समस्याएं रखीं और शिकायत की कि अधिकारियों से बार-बार शिकायत करने के बावजूद बिलों में सुधार नहीं किया जा रहा है। किसानों का कहना है कि जब तक पुराने बिलों की गलती नहीं सुधारी जाती, तब तक उन्हें मुफ्त बिजली योजना का सीधा लाभ नहीं मिल सकता।
गलत बिलों ने बढ़ाई किसानों की मुश्किलें
वेबीनार में जुड़े अन्नदाताओं ने बताया कि सरकार की फ्री बिजली योजना का लाभ प्रदेश के 15 लाख किसानों में से केवल 12 लाख को ही मिल पा रहा है। बाकी तीन लाख किसान निजी नलकूप के लिए इस योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। इन किसानों में से हजारों के बिजली बिल 31 मार्च 2023 को गलत जारी हुए थे। किसानों का कहना है कि पावर कारपोरेशन के बिलिंग सॉफ्टवेयर में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे इन गलत बिलों की राशि को सुधारा जा सके। इस कारण उनके नाम पर बकाया दिख रहा है। ऐसे में वह फ्री बिजली योजना के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कर पा रहे हैं। किसानों ने सरकार से मांग की है कि इस तकनीकी समस्या का जल्द समाधान किया जाए। ताकि सभी पात्र किसानों को योजना का लाभ मिल सके।
किसानों को 10 घंटे की बिजली की जरूरत
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा (Avadhesh Kumar Verma) ने कहा कि किसानों की समस्या को पहले ही पावर कारपोरेशन (Power Corporation) के सामने रखा जा चुका है, लेकिन अब तक इसका समाधान नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में कई जिलों में किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए कम से कम 10 घंटे बिजली की जरूरत है। इसके बावजूद उन्हें कृषि फीडर के जरिए केवल सात घंटे ही बिजली मिल पा रही है। उन्होंने कहा कि इस गंभीर मुद्दे को लेकर जल्द ही एक बार फिर पावर कारपोरेशन प्रबंधन से बातचीत की जाएगी।
निजीकरण का फैसला वापस ले सरकार
वेबीनार में बिजली उपभोक्ताओं ने आरोप लगाया कि पिछले छह महीनों में प्रदेश में बिजली के निजीकरण को लेकर सरकार की ओर से किए गए सभी प्रयास विफल साबित हुए हैं। उन्होंने बताया कि निजीकरण के लिए नियुक्त की गई सलाहकार कंपनी ने झूठे शपथ पत्र के आधार पर टेंडर हासिल किया। इसका खुलासा होने के बावजूद अभी तक उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है, बल्कि कुछ अधिकारी उसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं। उपभोक्ताओं ने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति को देखते हुए प्रदेश सरकार को बिजली निजीकरण के फैसले को तत्काल वापस लेना चाहिए। वेबीनार में विनोद कुमार गुप्ता, हरेंद्र कुमार, संदीप कुमार गुप्ता, रजनीश वर्मा और विजय कुमार ने अपनी बात रखी।