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रहमानखेड़ा में बाघ की दहशत बरक़रार Photograph: (Social media )
लखनऊ के काकोरी क्षेत्र में स्थित रहमानखेड़ा के जंगलों में घूम रहे बाघ को पकड़ने के प्रयास लगातार असफल हो रहे हैं। वन विभाग की टीमें कई दिनों से इस मिशन में जुटी हैं, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है। सोमवार की रात बाघ एक बार फिर संस्थान के बेल ब्लॉक में लगाए गए पिंजरे के पास आया, जहां एक बंधे हुए पड़वे को चारा के रूप में रखा गया था, लेकिन बाघ ने शिकार नहीं किया और बिना किसी हमले के वापस लौट गया। जंगल में लगाए गए ट्रैप कैमरों में बाघ की गतिविधियां कैद हुई हैं।
इलाके में डर का माहौल
मीठे नगर और हाफिजखेड़ा गांव के आसपास रहने वाले ग्रामीणों ने रात और सुबह के समय बाघ की दहाड़ सुनी, जिससे इलाके में डर का माहौल बन गया है। लोग अब खेतों में जाने से बच रहे हैं और अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
वन विभाग ने तेज किए निगरानी के उपाय
डीएफओ डॉ. सितांशु पाण्डेय ने बताया कि मंगलवार सुबह केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के जोन-1, मीठे नगर और उलरापुर के जंगलों में बाघ के ताजा पगचिन्ह देखे गए। विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए संस्थान के आम के बाग में पिंजरा लगाकर बकरी को बांधा है, ताकि आवाज सुनकर बाघ अंदर आ सके। इसके अलावा, मीठे नगर में मचान के पास भी निगरानी बढ़ा दी गई है और आसपास कैमरे लगाए गए हैं।
बाघ को पकड़ने में आ रही दिक्कतें
बाघ को पकड़ने के इस ऑपरेशन में वन विभाग की टीम को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ विशेषज्ञों की अनुपस्थिति के कारण ऑपरेशन में देरी हो रही है। वन विभाग अब बाघ के पिंजरे में खुद ही फंसने का इंतजार कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि पड़वा ज्यादा हलचल नहीं करता, जिससे बाघ आकर्षित नहीं हुआ। इसलिए अब कुछ पिंजरों में बकरी को बांधा गया है, ताकि उसकी आवाज से बाघ को पिंजरे में लाने में मदद मिल सके। ग्रामीणों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वन विभाग की ओर से जल्द से जल्द बाघ को पकड़ने की कोशिशें की जा रही हैं।