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Mayawati ने वक्फ कानून में गैर मुस्लिमों की एंट्री पर जताई आपत्ति : बोलीं- सरकार इसे स्थगित कर करे पुनर्विचार

मायावती ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने अपने अंतिम समय में धर्म परिवर्तन कर बौध धर्म की दीक्षा ली है। उसे जातिवादी मानसिकता के लोग सनातनी बनाने में लगे हैं।

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Deepak Yadav
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बसपा प्रमुख मायावती Photograph: (Social Media)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

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बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती (Mayawati) ने नए वक्फ कानून में गैर मुसलमानों को भी जगह दिए जाने के सरकार के फैसले का विरोध किया है। मायावती ने कहा कि मुस्लिम समाज इसके खिलाफ है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि वह वक्फ कानून को स्थगित कर इस पर पुनर्विचार करे। बसपा प्रमुख ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार को इस संवेदनशील मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। ताकि सामाजिक सौहार्द बना रहे और किसी भी वर्ग की भावनाएं आहत न हों।

बौध धर्म को सनातनी बनाने की कोशिश

मायावती ने कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के बताए हुए रास्ते पर चलकर काशी राम ने बाबा साहब के जन्मदिन के शुभ अवसर पर 14 अप्रैल 1984 को बहुजन समाज पार्टी के नाम से राजनीतिक पार्टी का विधिवध गठन किया। बाबा साहेब अंबेडकर ने अपने अंतिम समय में धर्म परिवर्तन कर बौध धर्म की दीक्षा ली है। उसे जातिवादी मानसिकता के लोग सनातनी बनाने में लगे हैं।

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बोधगया कानून है भेदभावपूर्ण

पूर्व सीएम ने कहा कि कांग्रेस की सरकार के दौरान 1949 में बने बौद्ध गया मंदिर के कानून में जरूरी परिवर्तन के लिए वे लोग आंदोलित हैं। कांग्रेस के समय एक कानून बना था। देश की आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी की सरकार ने बिहार में बोधगया मंदिर प्रबंधन के संबंध में जो कानून बनाया था। उसमें जिलाधिकारी की अध्यक्षता में चार हिंदू और चार बौद्ध धर्म के मानने वाले लोगों की कमेटी बनाने का प्रावधान किया गया था। जो पहली नजर में ही अनुचित अनावश्यक और भेदभावपूर्ण लगता है।

महाबोधि मंदिर देखरेख बौद्धों को सौंपी जाए

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मायावनी ने कहा कि सरकार की इस अनावश्यक दखलंदाजी की वजह से ही महाबोधि मंदिर में पूजा पाठ, देख-रेख, संपत्तियों के संरक्षण उसका रखरखाव और साफ सफाई के साथ ही लाखों तीर्थ यात्रियों की सुख सुविधा को लेकर भी तनावपूर्ण स्थिति बने रहने की शिकायत है। इसकी वजह से बौद्ध धर्म के मानने वालों की मांग है कि महाबोधि मंदिर की पवित्रता को पूरी तरह से बनाए रखने और इसकी सही से देखभाल के लिए यह जरूरी है कि मंदिर में पूजा पाठ, उसकी सुरक्षा व संरक्षण की पूरी जिम्मेदारी बौद्ध भिक्षु और बौद्ध धर्म के अनुयायियों को ही सौंप दी जाए, यह उनकी मांग जायज है।

1949 में हुई चूक को अब सुधारे सरकार

इस पर सरकार को उचित ध्यान देना चाहिए। वैसे भी अधिकतर लोगों का मानना है कि 1949 में जब मंदिर प्रबंधन के संबंध में कानून बन रहा था तभी कांग्रेस पार्टी को ध्यान देना चाहिए था। केंद्र व बिहार राज्य की सरकार को संविधान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का सही से अनुपालन करते हुए महाबोधि मंदिर प्रबंधन कानून में किसी गैर धर्म के मानने वाले लोगों को कमेटी का सदस्य बनाने का प्रावधान नहीं रखना चाहिए था।

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कांग्रेस, भाजपा पर साधा निशाना

बसपा चीफ ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस, भाजपा और अन्य जातिवादी पार्टियां खासकर बाबा साहेब के जन्मदिन के मौके पर उनके अनुयायियों और वोटरों को लुभाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे इस्तेमाल कर रही हैं। उनके बहकावे में न आकर इन्हें बीएसपी के रास्ते पर चलकर ही उनके अधूरे रहे कारवां को मंजिल तक जरूर पहुंचना है।

आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे सरकार 

मायावती ने कहा कि भारत में भारतीयों की सुरक्षा के लिए केंद्र और सभी राज्य सरकारों को आतंकियों के विरुद्ध अपने-अपने राजनीतिक स्वार्थों को छोड़कर भारतीय कानून के तहत निष्पक्ष और ईमानदार और सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।

 

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