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UP News : प्रदेश में 12426 बाल श्रमिकों ने विद्यालय में फिर रखा कदम, एक हजार से अधिक परिवारों को आर्थिक सहायता

सरकार के संचालित बाल श्रमिक विद्या योजना के अंतर्गत दो हजार कामकाजी बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाया गया है और उन्हें आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई, जिससे उनके पढ़ाई के रास्ते में कोई बाधा न आए।

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Abhishek Mishra
UP 12426 child labourers stepped back into school

यूपी को 2027 तक बाल श्रम मुक्त बनाएगी योगी सरकार

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश में बाल श्रम के खिलाफ एक सशक्त और निर्णायक अभियान की शुरुआत हो चुकी है। राज्य सरकार ने वर्ष 2027 तक प्रदेश को बाल श्रम से पूर्ण रूप से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सरकार ने जागरूकता, शिक्षा, पुनर्वास और सामाजिक सहयोग जैसे विभिन्न मोर्चों पर बहुआयामी योजनाओं को क्रियान्वित करना शुरू कर दिया है। यह अभियान इस सोच पर आधारित है कि बचपन किसी भी प्रकार की मजबूरी नहीं, बल्कि आगे बढ़ने और सपने पूरे करने का अवसर होना चाहिए।

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चलाए जाएंगे विशेष जागरूकता कार्यक्रम

सरकार का यह अभियान अब सिर्फ सरकारी फाइलों तक सीमित नहीं, बल्कि हर गांव, हर गली तक पहुंच चुका है, जहां बचपन मुस्कुरा रहा है और भविष्य आकार ले रहा है। बाल श्रम की रोकथाम के लिए 12 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के माध्यम से विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने का प्रस्ताव है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से समाज को यह संदेश दिया जाएगा कि बच्चों का स्थान केवल स्कूल में है, श्रम में नहीं। इसके लिए विभिन्न विभागों के माध्यम से समन्वय बनाकर जागरुकता अभियान को धार दी जाएगी। 

श्रमिकों के पुनर्वास की दिशा में बड़ा कदम 

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सरकार के प्रयासों से अब तक 10,336 बाल श्रमिकों की पहचान की जा चुकी है। वर्ष 2017-18 से 2024-25 तक 12,426 बाल श्रमिकों का शैक्षिक पुनर्वासन कराया गया है, ताकि ये बच्चे फिर से विद्यालय में जाकर एक नई शुरुआत कर सकें। यही नहीं, इन बच्चों के परिवारों को भी सरकार ने अकेला नहीं छोड़ा। 1,089 परिवारों को आर्थिक पुनर्वासन के जरिए सहायता दी गई है, ताकि वे मजबूरीवश अपने बच्चों से काम न करवाएं।

बाल श्रमिक विद्या योजना से पढ़ाई को मिली नई राह

यही नहीं सरकार के संचालित बाल श्रमिक विद्या योजना के अंतर्गत दो हजार कामकाजी बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाया गया है और उन्हें आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई, जिससे उनके पढ़ाई के रास्ते में कोई बाधा न आए। यह योजना न केवल शिक्षा को बढ़ावा देती है, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण को भी बदलने का काम कर रही है।

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बंधुआ मजदूरी के खिलाफ सख्त सरकार

इसके अलावा बंधुआ मजदूरी के खिलाफ भी सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। वर्ष 2017-18 से 2024-25 तक कुल 1,408 बंधुआ श्रमिकों का पुनर्वासन कर उन्हें 1,817.21 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है। यह प्रयास उन्हें स्वतंत्र और गरिमामय जीवन की ओर ले जाने में एक बड़ा कदम साबित हो रहा है। 

संगठित श्रमिकों के लिए 8 कल्याणकारी योजनाएं

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श्रम कल्याण परिषद के माध्यम से संगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए 8 कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इनके संचालन के लिए सरकार ने 40 करोड़ रुपये की कॉर्पस निधि उपलब्ध कराई है। वर्ष 2024-25 में अब तक 309 श्रमिकों को 1.32 करोड़ रुपये की सहायता देकर राहत पहुंचाई जा चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्पष्ट निर्देश हैं कि बचपन से बड़ा कोई भविष्य नहीं होता, और बच्चों से बड़ा कोई निवेश नहीं। इसी सोच के तहत सरकार प्रदेश के हर बच्चे को बाल श्रम से मुक्त कर शिक्षा, सुरक्षा और सम्मान की दिशा में अग्रसर कर रही है।

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