Advertisment

Electricity Privatisation : बिजली के निजीकरण में फंसा पेंच, एआरआर में नहीं जिक्र

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि एआरआर पर नियामक आयोग में तकनीकी सत्यापन सत्र (टीवीएस) की बैठक हो गई है। इसमें निजीकरण का कोई मसौदा नहीं रखा गया।

author-image
Deepak Yadav
एडिट
Privatisation of Electricity:

यूपी की बिजली मार्च 2026 नहीं जाएगी निजी हाथों में Photograph: (YBN)

लखनऊ वाईबीएन संवाददाता।प्रदेश के पूर्वाचल और दक्षिणांचल के 42 जनपदों के निजीकरण (PuVVNL-DVVNL Privatisation) में पेंच फंस गया है। सभी बिजली कंपनियों के वर्ष 2025-26 के लिए दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) के दस्तावेजों में बिजली वितरण व्यवस्था निजी हाथों में देने का जिक्र नहीं है। ऐसे में नियमत: दोनों  विद्युत वितरण निगमों का निजीकरण मई 2026 से पहले नहीं किया जा सकता। 

दस्तावेजों में निजीकरण का नहीं जिक्र

इस संबंध में राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि एआरआर पर नियामक आयोग में तकनीकी सत्यापन सत्र (टीवीएस) की बैठक हो गई है। इसमें निजीकरण का कोई मसौदा नहीं रखा गया। वहीं बहुवर्षीय वितरण टैरिफ विनियमावली में बिजली कंपनियों ने दक्षिणांचल और पूर्वांचल का निजीकरण का जिक्र नहीं किया है। ऐसे में अब मार्च 2026 तक विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के तहत दोनों बिजली कंपनियों का निजीकरण नहीं किया जा सकता। 

विद्युत दरों पर निर्णय से पहले निजीकरण पर विराम

अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि दक्षिणांचल और पूर्वांचल डिस्कॉम ने विद्युत नियामक आयोग को अवगत कराया कि वर्ष 2025-26 के लिए वह अपना व्यवसाय खुद करेंगे। उसी के तहत पूर्वांचल ने 28120 करोड़, दक्षिणांचल ने 23009 करोड़ एआरआर दाखिल किया है। ऐसे में इनका निजीकरण नहीं हो सकता। चूंकि सभी बिजली कंपनियों ने आयोग को शपथ पत्र दिया है। अब उसके आधार पर विद्युत नियामक आयोग वार्षिक राजस्व आवश्यकता स्वीकार किए जाने के बाद बिजली दरों की सुनवाई करेगा।

Advertisment
Advertisment