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यूपी में महिला-पुरुष लिंगानुपात में हुए सुधार
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उत्तर प्रदेश में पिछले आठ वर्षों में महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता को लेकर बड़े स्तर पर बदलाव हुए हैं। प्रदेश सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता देते हुए ऐसी योजनाओं को लागू किया, जिन्होंने न केवल महिलाओं के जीवन स्तर को ऊंचा किया, बल्कि पूरे समाज को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाने का कार्य किया। सरकार के जागरूकता अभियानों से प्रदेश में महिला-पुरुष लिंगानुपात में सुधार दर्ज किया गया है। आंकड़ों के अनुसार अब प्रति 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हैं, जो दर्शाता है कि कन्या भ्रूणहत्या जैसी कुप्रथाओं पर प्रभावी नियंत्रण किया गया है। सरकार की योजनाओं और "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" जैसे अभियानों ने लोगों की मानसिकता को बदला है और बेटियों को समान अवसर प्रदान करने की दिशा में प्रदेश ने प्रगति की है।
प्रदेश सरकार की कन्या जन्मोत्सव पहल बनी मिसाल
सरकार ने महिलाओं और बालिकाओं के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाएं समाज में बड़ा बदलाव ला रही हैं। सरकार के नेतृत्व में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत शुरू की गई कन्या जन्मोत्सव पहल ने पूरे देश में एक मिसाल कायम की है। इस पहल का उद्देश्य बालिकाओं के जन्म को उत्सव की तरह मनाना और समाज में लड़कियों के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करना है। प्रदेश में अब तक 3,822 कार्यक्रम आयोजित कर 35,489 बालिकाओं के जन्म का उत्सव मनाया जा चुका है।
कन्या सुमंगला योजना से 23 लाख से अधिक लाभान्वित
बालिकाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं। इनमें मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना एक अहम योजना है, जिसके तहत अब तक 23 लाख से अधिक लाभार्थियों को लाभान्वित किया जा चुका है। इस योजना के तहत बालिका के जन्म से लेकर उच्च शिक्षा तक आर्थिक सहायता दी जाती है। महिला एवं बाल विकास विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कन्या सुमंगला योजना के अंतर्गत -बालिका के जन्म पर 5,000 रुपये व एक वर्ष तक के पूर्ण टीकाकरण पर 2,000 रुपये दिए जाते हैं। इसके अलावा कक्षा 1 और 6 में प्रवेश पर 3,000-3,000 रुपये दिए जाते हैं। इसके अलावा कक्षा 9 में प्रवेश पर 5,000 रुपये और 10वीं या 12वीं पास करने के बाद स्नातक या डिप्लोमा में प्रवेश पर 7,000 रुपये दिए जा रहे हैं। इस तरह, एक लाभार्थी को कुल 25,000 रुपये की सहायता राशि दी जाती है, जिससे उसकी शिक्षा और भविष्य सुरक्षित हो सके।
बालिकाओं के महत्व को लेकर बढ़ाई जागरूकता
सरकार ने कन्या भ्रूण हत्या को रोकने, बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने और समाज में लैंगिक समानता स्थापित करने के लिए कन्या जन्मोत्सव की शुरुआत की। इस कार्यक्रम के तहत नवजात बालिकाओं के जन्म को उत्सव के रूप में मनाया जाता है। कार्यक्रम में पिता, भाई, परिवार के अन्य सदस्य, जनप्रतिनिधि और समाज के गणमान्य लोग शामिल होते हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि बालिका के जन्म को सकारात्मक रूप से देखा जाए। प्रदेश में इस पहल के तहत हर महीने के पहले और तीसरे सोमवार को जिला, ब्लॉक और गांव स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, ताकि समाज में लड़कियों के महत्व को लेकर जागरूकता बढ़ाई जा सके।
सामाजिक भागीदारी से बढ़ी प्रभावशीलता
सरकार ने कन्या जन्मोत्सव को केवल सरकारी योजना तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे सामाजिक आंदोलन में बदला है। इस पहल में महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, पंचायती राज और स्थानीय प्रशासन को एकीकृत किया गया है, जिससे इसका प्रभाव व्यापक हो सके। इस कार्यक्रम में समुदाय की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है। पिता, भाई, दादा-दादी, गांव के प्रधान और अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी इस पहल का हिस्सा बनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य पितृसत्तात्मक मानसिकता को समाप्त करना और समाज में लैंगिक समानता की भावना विकसित करना है।
लैंगिक समानता की दिशा में बड़ा कदम
कन्या जन्मोत्सव केवल एक कार्यक्रम नहीं बल्कि समाज में एक सतत सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया है। यह पहल लैंगिक भेदभाव और पूर्वाग्रहों को चुनौती देती है तथा समावेशिता और समानता को प्रोत्साहित करती है। सरकार के प्रयासों से उत्तर प्रदेश में लड़कियों की जन्म दर में वृद्धि दर्ज की गई है और समाज में सकारात्मक बदलाव देखा जा रहा है। इस कार्यक्रम के माध्यम से एक ऐसा वातावरण तैयार किया गया है, जहां लड़कियों का जन्म खुशी और गर्व का विषय बने। वहीं, लिंगानुपात यानी प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या बढ़ी है। शहरी क्षेत्र में जहां यह प्रति 1000 पुरुष पर 985 महिला हैं वहीं ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं का लिंगानुपात 1000 पुरुषों के मुकाबले 1037 है। यानि प्रदेश की महिलाओं की संख्या प्रति हजार पुरुष के सापेक्ष बढ़कर 1020 हो गई हैं। कन्या भ्रूण हत्या रोकने के सख्त उपाय और परिवार नियोजन के प्रति बढ़ी जागरुकता का यह नतीजा है।
मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में आई गिरावट
महिला और शिशु स्वास्थ्य की दिशा में किए गए प्रयासों के चलते प्रदेश में मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर और नवजात मृत्यु दर में भारी गिरावट दर्ज की गई है। सरकार की चलाई गई प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, जननी सुरक्षा योजना, मिशन इंद्रधनुष और विभिन्न स्वास्थ्य अभियानों ने गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के जीवन को सुरक्षित बनाया है। सरकार ने अत्यंत गरीब और कुपोषण से ग्रसित महिलाओं और बच्चों के लिए अनुपूरक पुष्टाहार योजना के तहत दो लाख से अधिक लाभार्थियों को पुष्टाहार उपलब्ध कराया है। खासकर गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए इस योजना ने पोषण स्तर में सुधार लाकर उनके जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाया वहीं किशोरी बालिकाओं के लिए चलाई जा रही योजना के अंतर्गत प्रदेश के आठ आकांक्षात्मक जिलों के 2 लाख 10 हजार से अधिक किशोरी बालिकाओं को चिन्हित कर उनका सर्वांगीण विकास किया जा रहा है।