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UP Kisan Mitra पर 3.67 लाख से अधिक किसान हुए पंजीकृत, अवकाश के दिन भी संचालित किए जा रहे मोबाइल क्रय केंद्र

प्रदेश सरकार ने व्यवस्था की कि पंजीकृत किसान बिना सत्यापन 100 कुंतल तक गेहूं बेच सकते हैं। सरकार निर्देश पर क्रय केंद्रों पर बैठने, शुद्ध पेयजल आदि की भी समुचित व्यवस्था की गई है।

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Abhishek Mishra
UP Kisan Mitra More than 3 67 lac farmers have registered

योगी सरकार

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

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अन्नदाता किसानों के हित के लिए संकल्पित यूपी सरकार (up government ) घर-घर पहुंच रही है। विपरीत मौसम को देखते हुए एक तरफ प्रदेश सरकार ने निर्देश जारी किए हैं कि गेहूं खुले में न रहे, इसे गोदाम में सुरक्षित रखा जाए तो वहीं दूसरी तरफ रविवार हो या अन्य अवकाश, मोबाइल क्रय केंद्र के माध्यम से किसानों से संवाद जारी है। प्रदेश सरकार के निर्देश पर महावीर जयंती के अवकाश पर भी खाद्य व रसद विभाग के अधिकारी गांव-गांव पहुंचे और किसानों से संवाद स्थापित किया।  

अवकाश पर भी जारी रहा किसानों से संपर्क

प्रदेश सरकार के प्रयासों को किसानों का भी साथ मिल रहा है। 10 अप्रैल दोपहर 12 बजे तक गेहूं खरीद के लिए 3,67,875 किसानों ने पंजीकरण करा लिया। 5784 क्रय केंद्रों के माध्यम से गेहूं खरीद हो रही है। 27388 किसानों से 1.43709 लाख मीट्रिक टन गेहूं की सरकारी खरीद भी हो चुकी है। आलम यह है कि दो दिन में लगभग 11 हजार से अधिक किसानों ने सरकारी बिक्री के लिए पंजीकरण कराया। 8 अप्रैल तक जहां 20,409 किसानों से गेहूं क्रय किया गया था, वहीं 10 अप्रैल तक बिक्री करने वालों किसानों की संख्या बढ़कर 27388 से अधिक हो गई है। यानी दो दिन में लगभग सात हजार से अधिक किसानों ने सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं की बिक्री की। 8 अप्रैल तक 3.56 लाख किसानों ने गेहूं बिक्री के लिए पंजीकरण कराया था, जो 10 अप्रैल तक बढ़कर 3.67 लाख हो गई है। 

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अवकाश में भी किसानों से संवाद

गेहूं की अच्छी ख़रीद हो इसके लिए कटाई के पहले से ही गांव गांव जाकर किसानों से संपर्क साधा गया और उन्हें सरकारी क्रय केंद्र पर बिक्री के लिए प्रेरित किया गया। खाद्य व रसद विभाग पहली बार मोबाइल क्रय केंद्रों के माध्यम से किसान के खेत तक पहुँचा। एक तरफ़ कटाई चल रही है तो वहीं दूसरी तरफ मौके पर ही गेहूं तौला जा रहा है। सीएम योगी के निर्देश पर अवकाश के दिनों में भी क्रय केंद्र खुल रहे हैं, जिससे गेहूं बेचना अन्नदाता किसानों के लिए काफी आसान हो गया है। गुरुवार को महावीर जयंती के अवकाश पर भी खाद्य व रसद विभाग के अधिकारी गांव-गांव पहुंचे और किसानों से संपर्क स्थापित किया। 

किसानों को 2425 रुपये एमएसपी 

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प्रदेश सरकार में बिचौलिया राज समाप्त हो गया। गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) रबी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए 2425 रुपये प्रति कुंतल तय किया गया है, जिसका भुगतान 48 घंटे के अंदर किसानों को किया जा रहा है। यही नहीं, गेहूं की उतराई, छनाई व सफाई के मद में 20 रुपये प्रति कुंतल की दर से भी किसानों को प्रतिपूर्ति की जा रही है। 

बिना सत्यापन के 100 क्विंटल तक बिक्री की सुविधा

प्रदेश सरकार ने व्यवस्था की कि पंजीकृत किसान बिना सत्यापन 100 कुंतल तक गेहूं बेच सकते हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर क्रय केंद्रों पर बैठने, शुद्ध पेयजल आदि की भी समुचित व्यवस्था की गई है। वहीं किसानों को 48 घंटे के भीतर भुगतान भी कराया जा रहा है। 

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आठ वर्षों में 50 लाख किसानों को मिला सीधा लाभ

प्रदेश सरकार के 8 वर्ष में किसानों को सीधे एमएसपी का लाभ दिया गया, जबकि सपा शासन में बिचौलियों का राज स्थापित रहा। योगी शासन के 8 वर्ष में लगभग 50 लाख किसानों को गेहूं बिक्री के लिए 43424.44 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जबकि सपा शासन के पांच वर्ष में महज 19,02,098 किसानों को 12808.67 करोड़ रुपये ही भुगतान किया गया। 

मुख्य विशेषताएं एक नजर में

  • अन्नदाता किसानों के लिए निरंतर अतिरिक्त प्रयास कर रही सरकार
  • किसानों को न हो परेशानी, इसलिए अवकाश के दिन भी संचालित किए जा रहे क्रय केंद्र
  • मौसम (धूप, गर्मी और बारिश) को देखते हुए सुबह 8 से रात्रि 8 बजे तक संचालित किए जा रहे क्रय केंद्र
  • मोबाइल क्रय केंद्र के माध्यम से किसानों से किया जा रहा संपर्क, घर तक पहुंचकर कराया जा रहा तौल 
  • किसानों को परेशानी से निजात के लिए जारी किया गया टोल फ्री नंबर 18001800150, सीधे अपनी समस्या बता सकते हैं किसान 
  • खाद्य व रसद विभाग के पोर्टल fcs.up.gov.in या मोबाइल ऐप UP KISHAN MITRA पर पंजीकरण-नवीनीकरण करा लें कृषक 
  • किसानों को 2425 रुपये एमएसपी के साथ ही कटाई, छनाई का भी 20 रुपये अतिरिक्त कराया जा रहा मुहैया 
  • बिचौलिया मुक्त खरीद कर सीधे किसानों के खाते में किया जा रहा भुगतान 
  • बिन सत्यापन सिर्फ पंजीकरण के आधार पर ही 100 कुंतल तक की जा रही खरीद
  • क्रय केंद्र पर किसानों का तत्काल कराया जा रहा पंजीकरण, बटाईदार किसानों से भी की जा रही खरीद
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