लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। प्रदेश सरकार शहरी सौंदर्यकरण और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। सरकार के निर्देशन में नगर विकास विभाग ने विज्ञापन नीति-2025 का प्रारूप तैयार कर लिया है, जिसे जल्द ही मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। नई नीति के तहत प्रदेशभर के शहरों में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक साइनेज के माध्यम से विज्ञापन दिखाए जाएंगे। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक, इस बदलाव से जहां पारंपरिक होर्डिंग्स और फ्लेक्स की जगह आधुनिक डिजिटल बोर्ड लेंगे, वहीं इससे सरकारी राजस्व में भी वृद्धि होगी।
आय में 158.7 करोड़ वृद्धि का अनुमान
नगर विकास विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों ने बताया गया कि वर्ष 2024-25 में विज्ञापन से प्राप्त 78.9 करोड़ रुपये की तुलना में, वर्ष 2029-30 तक यह आय 158.7 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। अधिकारी बताते हैं कि डिजिटल माध्यम से प्रचार करने पर निर्माण, रखरखाव और बिजली खर्च जैसे क्षेत्रों में लागत में कमी आएगी, जिससे निगमों को आर्थिक लाभ मिलेगा।
पर्यावरण संरक्षण की ओर बड़ा कदम
नई विज्ञापन नीति न केवल आय बढ़ाने में मददगार होगी, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी लाभकारी सिद्ध होगी। पारंपरिक फ्लेक्स और पोस्टर में उपयोग होने वाले नॉन-बायोडिग्रेडेबल रसायनों से बचाव होगा। परांपगत तरीके से बिलबोर्डस, होर्डिंग्स, पोस्टर के माध्यम से विज्ञापन प्रसारण कई तरह के केमिकल, नॉन- बायोडिग्रीडेबल कचरे को जन्म देता है, जो पर्यावरण को प्रत्यक्ष रूप से हानि पहुंचाता है। वहीं एलईडी आधारित डिजिटल साइनेज ऊर्जा की खपत में भी करीब 70 प्रतिशत तक की कमी लाते हैं।
सामाजिक संदेशों को भी मिलेगा स्थान
विज्ञापन नीति में सामाजिक सरोकारों को भी प्राथमिकता दी गई है। प्रस्तावित नियमों के तहत हर घंटे में कम से कम पांच मिनट का समय नगर निगम अथवा सरकार के सामाजिक संदेशों के लिए आरक्षित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक माह एक दिन और वर्ष भर में अधिकतम 12 दिन केवल समाजसेवा से जुड़े नि:शुल्क विज्ञापन दिखाए जाएंगे।
जल्द होगी नीति पर अंतिम मुहर
आपदा या आपात स्थिति में डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग जरूरी सूचना देने के लिए किया जा सकेगा, जिसके लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के तहत विशेष प्रावधान जोड़े गए हैं।नगर विकास विभाग की ओर से तैयार मसौदे को जल्द ही राज्य कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। स्वीकृति मिलने के बाद यह नीति पूरे प्रदेश में लागू कर दी जाएगी, जिससे शहरी क्षेत्र डिजिटल रूप से और अधिक सक्षम व पर्यावरण के अनुकूल बन सकेंगे।