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संगठित गिरोह के तीन आरोपित गिरफ्तार।
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।उत्तर प्रदेश की एसटीएफ को बड़ी सफलता हाथ लगी है, जब उन्होंने कोलकाता से एक संगठित गिरोह के तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। यह गिरोह सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर विभिन्न चिकनकारी कम्पनियों के नाम से फर्जी पेज बनाकर लोगों से ऑनलाइन ठगी करता था। अभियुक्तों के पास से महत्वपूर्ण दस्तावेज और उपकरण बरामद हुए हैं, जो उनके अपराधों का खुलासा कर रहे हैं।
यूपी एसटीएफ को मिली बड़ी सफलता
एसटीएफ, उत्तर प्रदेश को कोलकाता, पश्चिम बंगाल से एक संगठित गिरोह के सरगना सहित तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार करने में सफलता मिली। यह गिरोह सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर विभिन्न चिकनकारी कम्पनियों के नाम से फर्जी पेज बनाकर लोगों से ऑनलाइन ठगी करता था। इनके कब्जे से तीन मोबाइल फोन, पांच डेबिट/क्रेडिट कार्ड, एक पासबुक, एक आधार कार्ड, एक पैन कार्ड, एक वाईफाई राउटर चार्जर के साथ बरामद किया है।
गिरफ्तार अभियुक्तों का विवरण
-मो. सईद हुसैन उर्फ जीषान (19 वर्ष), होटल मैनेजमेंट का छात्र
-मो. जाबिर (25 वर्ष), बीकॉम, पूर्व में टेकसपोर्ट फ्राड करने वाली कम्पनी में काम करता था
-जैनब जाकिर (19 वर्ष), 12वीं पास
इन तरह से ये लोगों से कर रहे थे ठगी
यह गिरोह सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर विभिन्न चिकनकारी कम्पनियों के नाम से फर्जी पेज बनाता था। सईद हुसैन और जैनब जाकिर ने विशेष रूप से इंस्टाग्राम पर विभिन्न चिकनकारी कंपनियों के नाम से पेज बनाए थे, जैसे कि "नजाकत चिकन" और "thechikankari"। इन पेजों पर कपड़ों की फोटो डालकर, ग्राहकों से ऑनलाइन ऑर्डर लिए जाते थे। इसके बाद, ग्राहकों को कूटरचित इनवॉइस और दस्तावेज भेजे जाते थे, जिसमें कम्पनियों के जीएसटी नंबर और पते का उपयोग किया जाता था।
अन्य गिरोह के सदस्यों की तलाश में जुटी एसटीएफ
इसके बाद, इनवॉइस को व्हाट्सएप के माध्यम से ग्राहकों को भेजा जाता था और विभिन्न UPI और बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर कराए जाते थे। इन खातों के एटीएम कार्ड सईद हुसैन के पास होते थे, जो उन पैसों को एटीएम के माध्यम से कैश में निकालता था और गिरोह के अन्य सदस्यों को उनके हिस्से के अनुसार वितरित करता था। इस प्रक्रिया के द्वारा पूरे भारत में सैकड़ों लोगों से ठगी की गई थी।गिरफ्तार अभियुक्तों से प्राप्त जानकारी के आधार पर एसटीएफ अन्य गिरोह के सदस्यों की तलाश में जुटी है। साथ ही, अभियुक्तों से बरामद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का फॉरेंसिक परीक्षण किया जा रहा है, ताकि ठगी की पूरी प्रक्रिया और गिरोह के अन्य सदस्यों का पता चल सके।