/young-bharat-news/media/media_files/2025/05/19/QdRBasHM1LuBpJPmF9ft.jpg)
उपभोक्ता परिषद पहुंचा नियामक आयोग Photograph: (Social Media)
लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण में फिर पेंच फंस सकता है। निजीकरण के लिए तैयार किए गए निविदा दस्तावेज यूपी विद्युत नियामक आयोग (UPERC) में भेजने से पहले उपभोक्ता परिषद ने सोमवार को आयोग में लोकमहत्व का प्रस्ताव दाखिल किया है। परिषद ने निजीकरण को लेकर आयोग में दाखिल सभी आपत्तियां प्रदेश सरकार को भेजने या फिर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संदर्भित प्रस्ताव के साथ शामिल कर फैलसा लिए जाने की मांग की है।
विद्युत अधिनियम के प्रावधानों की अनदेखी
आयोग को अवगत कराया कि बीते दिनों एनर्जी ट्रास्क फोर्स की बैठक में निजीकरण के लिए नियुक्त सलाहकार कंपनी ग्रांट थार्नटन के तैयार किए गए बिडिंग डॉक्यूमेंट के मसौदे को विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के विपरीत मंजूरी दी गई है। उन्होंने दोहराया कि इस कंपनी के पास ऊर्जा क्षेत्र, खासकर बिजली के निजीकरण का कोई अनुभव नहीं है। साथ ही पावर कारपोरेशन के अधिकारी यह भूल गए कि प्रदेश सरकार ही विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 86(2) उपधारा (4) के तहत निविदा प्रपत्र नियामक आयोग को भेज सकती है।
बड़े भ्रष्टाचार की आशंका
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार से मुलाकात कर लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल करते हुए कहा कि एनर्जी टास्क फोर्स के जल्दबाजी में लिए गए निजीकरण के फैसले जांच के दायरे में होंगे। उन्होंने बताया कि विद्युत अधिनियम के प्रावधानों को हर स्तर पर दरकिनार किया गया है। जब सरकार ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 17 के तहत निजीकरण के लिए पूर्व अनुमति नहीं ली, तो अब इस संदर्भित प्रकरण को आयोग बहुत गंभीरता से जांचे। क्योंकि यह मामला भविष्य में बड़े भ्रष्टाचार को जन्म दे सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सलाहकार समिति की बैठक भी बुलाई जाए। झूठा शपथ देने वाली कंपनी ग्रांट थार्नटन के प्रस्ताव पर कोई भी कार्यवाही करना उचित नहीं है।