लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन में कार्यरत निविदा और संविदा कर्मचारियों ने गुरुवार को राजधानी स्थित शक्ति भवन के बाहर जोरदार सत्याग्रह किया। अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे ये कर्मचारी जब मुख्यमंत्री आवास की ओर बढ़े, तो पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक लिया। इस दौरान पुलिस और कर्मचारियों के बीच तीखी झड़प भी हुई, जिसके बाद कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे संगठन के प्रदेश महामंत्री देवेंद्र कुमार पांडेय ने आरोप लगाया कि लंबे समय से निगम प्रशासन कर्मचारियों की मांगों की अनदेखी कर रहा है। उन्होंने कहा कि अब कर्मचारियों का धैर्य टूट रहा है और आक्रोश चरम पर है।
निगम प्रबंधन की कार्यशैली पर उठे सवाल
संघ की ओर से लगाए गए आरोपों में कहा गया है कि सहयोगी निगमों में निर्धारित मानकों से कम कर्मचारियों से काम करवाया जा रहा है, जिससे काम का बोझ बढ़ गया है। साथ ही 55 वर्ष की आयु पार कर चुके कर्मियों को जबरन सेवा से मुक्त किया जा रहा है और उन्हें बकाया वेतन भी नहीं दिया जा रहा। इसके अलावा कर्मचारियों पर बायोमेट्रिक (फेशियल) उपस्थिति लागू करने का दबाव डाला जा रहा है, जिससे असंतोष और बढ़ गया है।
अन्य मुद्दों पर भी जताई नाराजगी
संघ के अनुसार कर्मचारियों से लिए जा रहे कार्य के अनुरूप अनुबंध नहीं किए जा रहे हैं और वेतन भुगतान में भी भेदभाव हो रहा है। घायल कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा तक नहीं दी जाती। वहीं ईपीएफ (EPF) से जुड़े कथित घोटाले की जांच अभी तक शुरू नहीं हुई है। इन सभी मुद्दों को लेकर कर्मचारियों में गहरा रोष है और उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।