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उपभोक्ता परिषद ने उठाई मांग : 15 लाख किसानों को दी जाए 10 घंटे बिजली, संविदा कर्मियों की छंटनी पर लगे रोक

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश में कुछ महीने पहले कृषि फीडर पर बिजली आपूर्ति 10 घंटे से घटाकर सात घंटे कर दी गई थी। अब करीब पन्द्रह लाख किसानों को ब्रेकडाउन हो जाने पर पांच से छह घंटे बिजली मिलना भी मुश्किल है।

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Deepak Yadav
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यूपी के 15 लाख किसानों को ब​मुश्किल मिल रही छह घंटे बिजली Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) की मनमानी से प्रदेश के किसानों और संविदा कर्मियों में भारी आक्रोश हैं। शनिवार को राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के साप्ताहिक वेबिनार में कई किसानों ने कहा कि बमुश्किल छह घंटे बिजली मिलने से खेतों की सिंचाई के लाले पड़ गए हैं। फसलें सूखने की कगार पर है। वहीं, बिजली विभाग में कार्यरत संविदा कर्मियों ने छंटनी पर नाराजगी जाहिर की। कर्मचारियों का आरोप है कि अधिकारी अपने चहेतों को नौकरी में बनाए हुए हैं। जबकि बाकी कर्मचारियों को हटाया जा रहा है। वहीं उपभोक्ता परिषद ने किसानों को 10 घंटे बिजली आपूर्ति करने और संविदा कर्मियों की छटनी पर रोक लगाने की सीएम योगी से मांग की है।

कृषि फीडर पर दोहरा मापदंड

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश में कुछ महीने पहले कृषि फीडर पर बिजली आपूर्ति 10 घंटे से घटाकर सात घंटे कर दी गई थी। अब करीब पन्द्रह लाख किसानों को ब्रेकडाउन हो जाने पर पांच से छह घंटे बिजली मिलना भी मुश्किल है। इस समय किसानों की फसलों की सिंचाई जरूरी है। इसलिए बिजली आपूर्ति 10 घंटे की जाए। उन्होंने कहा कि कई जिलों के सांसद और जनप्रतिनिधि के दबाव बनाने पर वहां 10 घंटे बिजली आपूर्ति शुरू हो गई है। इससे स्पष्ट है कि प्रदेश में कृषि फीडर पर दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है।  

संविदा कर्मचारियों की छंटनी पर उठे सवाल

अवधेश वर्मा ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन में संविदा कार्मिकों की बड़े पैमाने पर मनमाने ढंग से छंटनी की जा रही है। छंटनी की प्रक्रिया में अधिशासी अभियंता भेदभाव कर रहे हैं। जिस कर्मी से अधिकारी खुश हैं, उसे नौकरी में बनाए रखा  है। जिससे नाराज, उसे बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। कहीं कोई तय मानक नहीं हैं। जिससे कर्मचारियों में भारी आक्रोश है। उन्होंने कहा कि एक ओर मुख्यमंत्री संविदा कर्मचारियों की तमाम घोषणाएं कर रहे हैं। वहीं, पावर कॉरपोरेशन उन्हें बेरोजगार करने में जुटा है। 

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