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किसानों को दस घंटे बिजली आपूर्ति देने की मांग Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश सरकार से किसानों को सात के बजाय 10 घंटे बिजली आपूर्ति देने की मांग की है। परिषद का आरोप है कि पावर कारपोरेशन के अधिकारियों के दिमाग में केवल पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण का एजेंडा चल रहा है। जबकि बिजली की किल्लत से परेशान किसानों को अपनी फसलों की समय पर सिंचाई में समस्या हो रही। इससे क्षेत्रीय फसलें पानी के अभाव में सूख रही हैं।
10 घंटे बिजली आपूर्ति जरूरी
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि आंधी-तूफान में एचटी लाइन के तार टूटने से गेहूं की फसल में आगजनी के चलते कृषि फीडर पर विद्युत आपूर्ति 10 घंटे की बजाय केवल सात घंटे की जा रही है। उन्होंने कहा कि गेहूं की फसल लगभग कट चुकी है, लेकिन मौजूदा समय में सूरजमुखी, मूंगफली, मक्का, उड़द और मूंग की फसलें पानी की कमी से सूख रही हैं। ऐसे में पावर कारपोरेशन किसानों को 10 घंटे बिजली आपूर्ति देने का आदेश जारी करे। ताकि किसान आर्थिक नुकसान से बच पाएं।
प्रदेश के किसान परेशान
अवधेश वर्मा ने कहा कि पर्याप्त बिजली नहीं मिलने से प्रदेश भर के किसान परेशान हैं। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने क्षेत्रीय फसलों को पानी की आवश्यकता पर जोर दिया है। इस स्थिति को देखते हुए 10 घंटे बिजली आपूर्ति जरूरी है। परिषद अध्यक्ष ने कहा कि वर्तमान में पावर कॉरपोरेशन बिजली निगमों को बेचने में व्यस्त है। जबकि किसानों को बिजली मिलने से उसे कोई मतलब नहीं है।। इस गंभीर मामले में पावर कारपोरेशन प्रबंधन की उदासीनता पर सरकार को कठोर कदम उठाना चाहिए। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि शक्ति भवन में पावर कारपोरेशन उद्योगपतियों के लिए निजीकरण का मसौदा तैयार करने में व्यस्त है। उन्होंने इस मामले में प्रदेश सरकार को हस्तक्षेप की मांग की है।