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Electricity Privatisation : चोर से ही मांगी जा रही दरवाजे की चाबी, भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस को UPPCL का ठेंगा

Electricity Privatisation : अवधेश वर्मा ने कहा कि निदेशक वित्त पहले विधिक राय, फिर टेंडर मूल्यांकन समिति की बैठक और अब उसी कंपनी से राय लेकर उसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं।

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Deepak Yadav
Electricity Privatisation

24 दिन बाद भी सलाहकार कंपनी पर नहीं हुई कार्रवाई Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने झूठे शपथ पत्र का खुलासा होने के 24 दिन बीत जाने के बाद भी सलाहकार कंपनी ग्रांट थार्नटन के खिलाफ कार्रवाई न होने पर नाराजगी जताई है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा (Avadhesh Kumar Verma) ने आरोप लगाया कि बिजली के निजीकरण का मसौदा तैयार कर रही इस कंपनी को बचाने के लिए निदेशक वित्त बार-बार प्रस्ताव बदल रहे हैं। फाइल को इधर-उधर घुमाकर सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को ठेंगा दिखाया जा रहा है।

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ऊर्जा क्षेत्र का पहला ऐसा मामला

अवधेश वर्मा ने कहा कि इंजीनियर ऑफ कॉन्ट्रैक्ट ने ग्रांट थार्नटन के खिलाफ रिपोर्ट देकर कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की थी, लेकिन निदेशक वित्त पहले विधिक राय, फिर टेंडर मूल्यांकन समिति की बैठक और अब उसी कंपनी से राय लेकर उसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ग्रांट थार्नटन मामले में विवाद के चलते आज पावर कॉरपोरेशन में नए निदेशक वित्त का कार्यभार ग्रहण रोक दिया गया। यह ऊर्जा क्षेत्र का पहला ऐसा मामला है, जहां भ्रष्टाचार साबित होने के बावजूद एक कंपनी को बचाने में पूरा पावर कॉरपोरेशन जुटा है।

निदेशक को सलाहकार को बचाने का जिम्मा

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परिषद अध्यक्ष ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन सलाहकार कंपनी को बचाने के लिए विद्युत नियामक आयोग के साथ उसके प्रतिनिधियों की बैठक करना चाहता था, लेकिन उसमें भी उसे असफलता हाथ नहीं लगी। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अब कंपनी को बचाने का जिम्मा निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग को दिया गया है। वह कंपनी के पक्ष में रोज पत्रावली पर अलग-अलग टिप्पणियां कर रहे हैं। उनकी विश्वसनीयता संदेह के घेरे में है। ऐसे में निदेशक वित्त के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए।

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