लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद (UPRVUP) ने ऊर्जा विभाग पर मुख्यमंत्री की नीतियों के विपरीत काम करने का आरोप लगाया है। परिषद का कहना है कि सीएम जहां संविदा कर्मियों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए प्रयासरत हैं। वहीं, बिजली विभाग संविदा कर्मियों की छंटनी कर रहा है। परिषद ने सवाल किया कि विभाग एक ओर भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े फैसले लेने की बात करता है। वहीं, झूठा शपथ पत्र देकर सलाहकार का टेंडर हासिल करने वाली ग्रांट थार्नटन कंपनी के खिलाफ कार्रवाई ठंडे बस्ते में डाल दी है।
हजारों संविदा कर्मचारियों की छटनी
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा (Avadhesh Kumar Verma) ने कहा कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2024 के आंकड़ों के अनुसार कुल 31,738 स्थायी कर्मचारी और 85,098 संविदा कार्मिक कार्यरत थे। जो प्रदेश के तीन करोड़ 45 लाख विद्युत उपभोक्ताओं के लिहाज से बेहद कम हैं। उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी के चलते ब्रेकडाउन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में सुचारु बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए संविदा कार्मिकों की जरूरत पड़ेगी। बावजूद इसके बिजली विभाग हजारों संविदा कर्मचारियों को नौकरी से हटा रहा है।
जालसाज कंपनी को बचा रहा उद्योगपति
अवधेश वर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री लगातार संविदा कर्मियों के लिए सुविधाओं की घोषणा कर रहे हैं। वहीं बिजली विभाग उनकी रोजी-रोटी छीनकर भुखमरी की ओर धकेल रहा है। वर्मा ने कहा कि ऊर्जा मंत्री और पावर कारपोरेशन भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टोलरेंस की नीति अपनाने की बात करते हैं। वहीं दूसरी ओर बिजली के निजीकरण (electricity privatization) का प्रस्ताव तैयार कर रही जालसाज सलाहकार कंपनी पर झूठा शपथ देने के मामले में अभी तक कार्रवाई नहीं की। परिषद का दावा है कि एक उद्योगपति की प्रदेश में नई बिजली कंपनियां खरीदने में दिलचस्पी है। ऐसे में सलाहकार कंपनी उसके लिए अंदरखाने मसौदा तैयार कर रही है। इसलिए वह इस कंपनी को बचाने में लगा है।