लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता
उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण (Electricity Privatisation) को लेकर शनिवार को लखनऊ के पांच सितारा होटल में हुई निजी घरानों की बैठक का जोरदार विरोध शुरू हो गया है। उपभोक्ता परिषद ने इसे ‘फिक्सिंग बैठक’ करार देते हुए प्रधानमंत्री से सीबीआई जांच कराने की मांग की है। परिषद का आरोप है कि बिजली निजीकरण की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। यह निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए की जा रही है। वहीं परिषद ने निजीकरण के लिए सलाहकार रखी गई ग्रांट थार्नटन कपंनी की ओर से झूठा शपथ पत्र दाखिल करने पर मांगे गए स्पष्टीकरण पर देर रात दिए गए जवाब पर आपत्ति जताई है।
बाबा साहब के विचारों के विरुद्ध कदम
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद (UPRVUP) के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाया कि शनिवार को लखनऊ के पांच सितारा होटल में बिजली निगमों को बेचने की रणनीति बनाई गई। इसमें अडानी, टाटा, टोरेंट और नोएडा पावर समेत देश के बड़े निजी घराने शामिल रहे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव इन उद्योगपतियों को निडर होकर टेंडर में भाग लेने का भरोसा दिला रहे थे। उन्होंने बैठक को फिक्सिंग की साजिश बताते हुए प्रधानमंत्री से सीबीआई जांच की मांग की। वर्मा ने दावा किया कि जरूरत पड़ने पर उपभोक्ता परिषद सबूत देने को तैयार है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बैठक से पहले ही निजी कंपनियों के लोगों को सरकारी बिजली कंपनियों में निदेशक बना दिया गया। ताकि अंदर की सूचनाएं निजी घरानों तक पहुंचाई जा सकें।
ग्रांट थार्नटन के जवाब पर जताई आपत्ति
अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि दूसरे ओर झूठा शपथ पत्र देने वाली ब्रिटिश कंपनी ग्रांट थार्नटन का पावर कॉरपोरेशन में देर रात दाखिल किया गया जवाब चौंकाने वाला है। कंपनी ने दावा किया कि टेंडर भरते समय उस पर कोई जुर्माना नहीं था। जबकि शपथ पत्र में साफ लिखा है कि पिछले तीन वर्षों में उस पर न तो कोई जुर्माना लगा है और न ही कोई एडवर्स एंट्री हुई है। वर्तमान में उस पर कोई पेनल्टी नहीं लगी है, यह कहकर पूरे मामले को उलझया जा रहा है। जबकि अमेरिका की पब्लिक कंपनी अकाउंटिंग ओवर साइट बोर्ड (पीसीएओबी) ने 2024 में ग्रांट थार्नटन को डिबार कर 40 हाजर डॉलर का जुमार्ना लगाया था। ऐसे में कंपनी को तत्काल बैल्क लिस्ट लिया जाना चाहिए।