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UP डिजिटल लेनदेन में शिखर पर, बिचौलियों का खेल खत्म

2017-18 में जहां राज्य में 122.84 करोड़ रुपये के डिजिटल लेनदेन दर्ज किए गए थे, वहीं 2024-25 में दिसंबर 2024 तक यह आंकड़ा 1024.41 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इसमें यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) का आधे से अधिक योगदान रहा।

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Deepak Yadav
uttar pradesh

डिजिटल क्रांति और आर्थिक उन्नति की नई मिसाल बना यूपी Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

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उत्तर प्रदेश ने डिजिटल क्रांति और आर्थिक प्रगति के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) से लेकर डिजिटल लेनदेन और सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में एतिहासिक तक, यूपी आज देश के सामने एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। नीति आयोग ने जहां यूपी को 'फ्रंट रनर' का दर्जा दिया है। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार 2024-25 में राज्य की कर हिस्सेदारी 11.6 फीसद रही, जो महाराष्ट्र के बाद देश में सर्वाधिक है। 

2024 तक 1024.41 का डिजिटल लेनदेन

उत्तर प्रदेश ने डिजिटल ट्रांजेक्शन के मामले में देश में नंबर एक स्थान हासिल किया है। 2017-18 में जहां राज्य में 122.84 करोड़ रुपये के डिजिटल लेनदेन दर्ज किए गए थे, वहीं 2024-25 में दिसंबर 2024 तक यह आंकड़ा 1024.41 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इसमें यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) का आधे से अधिक योगदान रहा। डिजिटल बैंकिंग की आसान पहुंच, गांवों तक इंटरनेट की उपलब्धता, वित्तीय जागरूकता और पर्याप्त उपकरणों ने इस क्रांति को यूपी में संभव बनाया। राज्य में 20,416 बैंक शाखाएं, 4,00,932 बैंक मित्र और बीसी सखी, 18,747 एटीएम और 4,40,095 बैंकिंग केंद्र इसकी मजबूत आधारभूत संरचना को दर्शाते हैं।

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डीबीटी से सीधे सशक्त हो रहे लाभार्थी, बिचौलिये गायब

डीबीटी के माध्यम से योगी सरकार ने 11 विभागों की 207 योजनाओं के तहत 9 करोड़ 8 लाख से अधिक लोगों के खातों में 1,11,637 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इसमें 113 केंद्रीय और 94 राज्य योजनाएं शामिल हैं। इस प्रणाली ने न केवल योजनाओं के पात्रता में पारदर्शिता बढ़ाई है, बल्कि 10 हजार करोड़ रुपये की बचत भी की है। यह प्रक्रिया न सिर्फ भ्रष्टाचार पर लगाम लगाती है, बल्कि जरूरतमंदों तक सीधे लाभ पहुंचाने में भी कारगर सिद्ध हुई है। यूपी इस मामले में डिजिटल क्रांति का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बनकर उभरा है।

जीएसडीपी में हुई दोगुनी से अधिक वृद्धि

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1950 से 2017 तक उत्तर प्रदेश की जीएसडीपी महज ₹12.75 लाख करोड़ तक पहुंच सकी थी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों पर जनता के भरोसे और 2017 से योगी सरकार की मेहनत से पिछले आठ वर्षों में यह आंकड़ा दोगुना से अधिक होकर 2024-25 में ₹27.51 लाख करोड़ तक पहुंचने जा रहा है। देश की जीडीपी में 9.2% हिस्सेदारी के साथ यूपी अब देश का दूसरा सबसे बड़ा आर्थिक योगदानकर्ता बन गया है। 2023-24 में जहां देश की जीडीपी वृद्धि दर 9.6% रही, वहीं यूपी ने 11.6% की दर से आगे बढ़कर अपनी आर्थिक ताकत का परिचय दिया है।

राजकोषीय स्वास्थ्य में भी हुआ सुधार

नीति आयोग की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश को राजकोषीय स्थिति के मामले में 'फ्रंट रनर' घोषित किया गया है। 2018-19 से 2022-23 के बीच राज्य के 'फिस्कल हेल्थ इंडेक्स' में 8.9 अंकों की बढ़ोतरी हुई है। पूंजीगत व्यय में भी सुधार देखा गया है, जो कुल व्यय का 14.8% से बढ़कर 19.3% हो गया। यह अनुपात देश के प्रमुख राज्यों के औसत से अधिक है। आरबीआई की 2024-25 की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी की स्वयं के कर से प्राप्ति का अनुपात 10% रहा, जो राष्ट्रीय औसत 7.2% से कहीं अधिक है। यह राज्य की आर्थिक नीतियों की मजबूती को दर्शाता है।

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