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उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन की प्रांतीय कार्य समिति की बैठक Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन (UPPOA) ने पावर कारपोरेशन (Power Corporation) पर दलित और पिछड़े वर्ग के इंजीनियरों के साथ भेदभाव और अन्याय करने का आरोप लगाया है। एसोसिएशन के सदस्यों ने कहा कि 1992 बैच के इंजीनियरों को मुख्य अभियंता के पद पर पदोन्नत किया जाना चाहिए था। लेकिन छोटे-छोटे केस में फंसाकर उनका प्रमोशन रोक दिया गया। जानबूझकर उनके मामलों का निस्तारण नहीं किया जा रहा। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि महेंद्र सिंह, नेकी राम, प्रभाकर सिंह, राम शब्द, लोकेश कुमार, प्रशांत सिंह, महेश चंद्र, राकेश मोहन, रमेश चंद्र के मामले काफी समय से लंबित है। पूर्व में सामान्य वर्ग के इंजीनियरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के मामलों को निस्तारित किया गया। उसी आधार पर दलित वर्ग के इंजीनियरों के प्रकरण निस्तारित नहीं किए गए।
दोषमुक्त होने के बाद भी बहाली नहीं
एसोसिएशन की रविवार को प्रांतीय कार्य समिति की बैठक में सदस्यों ने आरोप लगाया कि गलत तरीके से निलंबित किए गए एक अधीक्षण अभियंता (एसई) को सात अप्रैल को दोष मुक्त कर दिया गया। उसके बावजूद पावर कारपोरेशन ने अभी तक एसई को बहाल नहीं किया है। यह ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास का पहला ऐसा मामला है। इसी तरह से कई मामलों में अवर अभिंयताओं को चार्ज दिया जा रहा है। उनके अधीन दलित सीनियर अभियंता काम कर रहे हैं। एक दलित अधीक्षण अभियंता पिछले ढाई साल से निलंबित हैं। जांच समिति ने उनके मामले पर रिपोर्ट भी भेज दी है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।
पूर्वांचल-दक्षिणांचल डिस्काम में सबसे ज्यादा दलित अभियंता
संगठन के कार्यवाहक अध्यक्ष कुमार वर्मा ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम का निजीकरण (pvvnl-dvvnl Privatisation) किया जाना है। इन कंपनियों में पिछले एक साल में सबसे ज्यादा दलित वर्ग के अधीक्षण अभियंता तैनात किए गए हैं। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में भी यही स्थिति है। जहां मुख्य अभियंता के पदों पर सबसे ज्यादा दलित अभियंता तैनात हैं। जानबूझकर दलित अभियंताओं को इन दोनों विद्युत वितरण निगमों में भेजा गया है। ताकि निजीकरण के बाद उन्हें प्रताड़ित किया जा सके। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान की धारा 14 में सभी को समानता का अधिकार है। लेकिन बिजली कंपनियों में सबसे ज्यादा इसका उल्लंघन हो रहा है।