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अब नहीं चलेगी मनमानी : सड़क पर नहीं स्कूलों में होगी वाहनों की Parking, पिक-ड्रॉप जोन भी बनाना होगा

स्कूल परिसर में पार्किंग का भी निर्माण करना होगा। जिसमें स्कूलों में बस और वैन के लिए पार्किंग के साथ-साथ पिक एंड ड्रॉप जोन भी बनाने का प्रावधान है। स्कूल संचालकों को पार्किंग स्थल के संचालन के लिए एक उचित प्रबंधन प्रणाली विकसित करना होगा।

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Deepak Yadav
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सभी स्कूलों को परिसर में पार्किंग बनाना अनिवार्य कर दिया गया है। स्कूल और अस्पतालों समेत अलग-अलग श्रेणी की इमारतों के लिए पार्किंग पर विशेष जोर दिया गया है। भवन निर्माण एवं Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

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भवन निर्माण एवं विकास उपविधि की नई नियमावली में स्कूल, अस्पतालों में पार्किंग पर विशेष जोर

सभी स्कूलों को परिसर में पार्किंग बनाना अनिवार्य कर दिया गया है। स्कूल और अस्पतालों समेत अलग-अलग श्रेणी की इमारतों के लिए पार्किंग पर विशेष जोर दिया गया है। भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025 के मुताबिक अस्पतालों में ऐंबुलेंस और स्कूलों में बस, वैन के लिए पार्किंग बनानी होगी। साथ ही स्कूलों में पिक ऐंड ड्रॉप जोन भी बनाना होगा ताकि स्कूल खुलने और छुट्टी के समय सड़कों पर ट्रैफिक जाम के हालात न बनें। नई व्यवस्था के मुताबिक शहरों में सभी प्रकार के भवनों में पार्किंग की व्यवस्था को अनिवार्य होगा। साथ ही ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग की व्यवस्था करने वाले को एक मंजिला अतिरिक्त निर्माण की अनुमति दी जाएगी। आवास विभाग ने 'भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025' को मंजूरी देते हुए जनता से आपत्ति और सुझाव मांगे हैं।

परिसर में पार्किंग का भी करना होगा निर्माण

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स्कूल परिसर में पार्किंग का भी निर्माण करना होगा। जिसमें स्कूलों में बस और वैन के लिए पार्किंग के साथ-साथ पिक एंड ड्रॉप जोन भी बनाने का प्रावधान है। स्कूल संचालकों को पार्किंग स्थल के संचालन के लिए एक उचित प्रबंधन प्रणाली विकसित करना होगा। ड्राफ्ट बिल्डिंग बायलॉज 2025 के अनुसार शिक्षा क्षेत्र के लिए कई नियम प्रावधानित किए गए हैं। इसके अनुसार यूपी बोर्ड, सीबीएसई, आईसीएसई, एआईसीटीई आदि की संबद्ध संस्थानों के भवनों के न्यूनतम प्लॉट क्षेत्र के एरिया को घटा दिया गया है। जबकि खेल के मैदान, खुले क्षेत्र आदि की आवश्यकताओं को बरकरार रखा गया है। वहीं एप्रोच रोड की न्यूनतम चौड़ाई 12 मीटर से घटाकर 9 मीटर की गई (नर्सरी और प्राथमिक विद्यालय) की गई है। 

स्कूल बसों के लिए बनानी होगी अलग पार्किंग 

इसके अलावा अग्नि मानदंडों का पालन करते हुए ग्राउंड कवरेज और सेटबैंक का सरलीकरण किया गया है। अब भूमि का 20 प्रतिशत से 40 फीसद हिस्सा अनलॉक रहेगा। स्कूल बसों के लिए अलग पार्किंग प्रावधान किया जाना होगा। परिसर के भीतर पिक अप और ड्रॉप जोन के लिए अतिरिक्त प्रावधान। अधिकतम स्वीकार्य एफएआर को दो से बढ़ाकर सात (सड़क की चौड़ाई के अनुसार) किया गया है। तकनीकी संस्थान अब ऊंचाई बढ़ा सकेंगे। शैक्षणिक संस्थानों की कई श्रेणियों को 10 से घटाकर 4 कर दिया गया है। आवासीय भूखंडों में क्रेच के लिए ग्राउंड कवरेज का 25 प्रतिशत तक की अनुमति मिल सकेगी। स्टिल्ट/पोडियम पर पार्किंग की अनुमति रहेगी। उचित पार्किंग को प्रोत्साहित करने के लिए, सहायक गतिविधियों (मुख्य उपयोग के लिए) के लिए 10 प्रतिशत ग्राउंड कवरेज के साथ एक अलग ब्लॉक की अनुमति दी गई है।

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स्कूलों की मनमानी पार्किंग से यातायात व्यवस्था बदहाल

निजी स्कूलों की मनमानी पार्किंग से शहर की यातायात व्यवस्था बदहाल हो गई है। सुबह और दोपहर को सड़क पर वाहनों की लंबी कतारें लगी रहती हैं। यातायात विभाग भी इन स्कूलों के सामने बेबस नजर आता है। क्योंकि बड़े-बड़े अधिकारियों की गाड़ी भी इनमें शामिल होती है। वीआईपी गाड़ियां बीच सड़क पर ही खड़ी कर दी जाती है। जिसका खामियाज़ा आम लोगों को भुगतना पड़ता है। शहर की बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था पर निजी स्कूलों को कई बार निर्देश दिए जा चुके हैं। लेकिन उनके निर्देश भी सिर्फ कागजों में दबकर रह जाते हैं। स्कूलों में बच्चों को ट्रैफिक का पाठ भले ही पढ़ाया जाता हो। लेकिन शहर के कई बड़े नामी स्कूल खुद ही इस पाठ का पालन नहीं कर रहे हैं। कई पब्लिक स्कूलों के सामने सुबह और दोपहर सड़कों पर जाम लग जाता है। कोर्ट ने भी निर्देश दिए थे कि स्कूलों में पार्किंग की व्यवस्था को जाए, पिक एंड ड्रॉप में सहयोग दिया जाए। मगर न तो स्कूल वालों में आदेश को माना और न ही प्रशासन अदालती आदेश को लागू कर सका। अब जबकि भवन निर्माण उपविधि 2025 के ड्राफ्ट में संशोधन किया गया है मगर पुराने स्कूलों के लिए नए नियम लागू होंगे या नहीं अभी इस पर संशय है।

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