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Vikas Deep Complex में हर दिन मौत के साए में काम, 14 मंजिला जर्जर इमारत हो रही खंडहर

इंजीनियरों से इस बिल्डिंग से किनारा कर लिया है तो जिम्मेदार अफसर भी यहां आना पंसद नहीं करते हैं। बुधवार को इसी इमारत का छज्जा गिरने से एक युवक की मौत हो गई थी।

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Deepak Yadav
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विकास दीप कॉम्प्लेक्स एलडीए की उपेक्षा का शिकार Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने चारबाग स्टेशन रोड पर करीब 41 साल पहले 14 मंजिला विकास दीप कॉम्प्लेक्स का निर्माण कराया था। इस बेशकीमती बिल्डिंग में 280 दुकानें व हॉल बने हैं। वर्तमान में यह पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। इसके बनने व आवंटन होने के बाद से एलडीए के इंजीनियर यहां मेंटीनेंस कराना भूल गया। इतना ही नहीं, बची दुकानों व हॉल को बेचने का भी प्रयास नहीं किया। हालांकि हर बार ई नीलामी में इन्हें शामिल तो किया जाता है लेकिन बेहद खराब हालत में होने की वजह से कोई इन्हें खरीदना पंसद नहीं कर रहा है। 

इंजीनियरों ने किया किनारा

इंजीनियरों से इस बिल्डिंग से किनारा कर लिया है तो जिम्मेदार अफसर भी यहां आना पंसद नहीं करते हैं। बुधवार को इसी इमारत का छज्जा गिरने से एक युवक की मौत हो गई थी। घटना के बाद अफसर पड़ताल करने पहुंचे। बताया गया कि सुरक्षा के लिहाज से जर्जर हिस्से वाले क्षेत्र को बंद करा दिया गया है। कॉम्प्लेक्स पूरी तरह जर्जर हो चुका है। रेलिंग टूट चुकी है। प्लास्टर उखड़ चुका है और खिड़कियों के शीशे टूटे हैं। इसकी स्ट्रक्चरल आडिट कराई जाएगी। साथ ही इसके मेंटीनेंस को लेकर भी निर्णय लिया जाएगा। 

सैकड़ों लोगों की जान जान जोखिम में

इस 14 मंजिला इमारत में बेसमेंट से लेकर तीसरी मंजिल तक करीब 280 दुकानें हैं। चौथी से पांचवीं मंजिल पर सरकारी दफ्तर हैं। करीब 10 सरकारी कार्यालय संचालित है। यहां सैकड़ों लोग जान-जोखिम में डालकर काम करने आते हैं। रजिस्ट्रार, सामूहिक बीमा निदेशालय और रेशम निदेशालय जैसे विभाग यहां हैं। लेकिन इनका संचालन भी ठप पड़ा है। छठे, सातवें और आठवें फ्लोर पर स्थित हॉल पूरी तरह खाली हैं। तीन लिफ्टों में से एक ही चालू है। बाकी दो लिफ्ट कूड़ाघर में तब्दील हो चुकी हैं। हर मंजिल व सीढ़ियों पर गंदगी है। ग्राउंड फ्लोर को पूरे एरिया को किसी ने कब्जा कर रखा है। कई जगह जुर्माना का बोर्ड लगे हैं। इसके बावजूद लोग थूकते हैं। 

शाम होते ही शराबियों व जुआरियों का जमावड़ा

बेसमेंट से लेकर ऊपरी फ्लोर तक अवैध कब्जे हैं। लोगों ने अपनी दुकानों के बाहर खाली जगह में लोहे का जाल लगाकर कब्जा कर लिया है। चोरी की बिजली से दुकानें रोशन हैं। वहीं शाम होते ही ये कॉम्प्लेक्स शराबियों और जुआरियों का अड्डा बन जाता है। कॉम्प्लेक्स की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए चिट फंड रजिस्ट्रार समीर ने एलडीए उपाध्यक्ष और पुलिस कमिश्नर को पत्र भेजा था। उन्होंने कहा था कि यहां हर वक्त असामाजिक तत्व घूमते रहते हैं। अतिक्रमण और जबरदस्ती पार्किंग से ऑफिस टाइम में काम करना मुश्किल हो गया है। कॉम्प्लेक्स की देखरेख की जिम्मेदारी एलडीए के पास है। ग्राउंड फ्लोर पर कार्यालय भी है, जहां बिजली के काम के लिए कर्मचारी तैनात हैं। लेकिन सिविल मेंटेनेंस के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। वहीं, सुरक्षा के नाम पर न कोई गार्ड नहीं है। 

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