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स्कूलों में फीस वृद्धि का वायरल आदेश निकला फर्जी
लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश के माध्यमिक स्कूलों में फीस वृद्धि को लेकर एक फर्जी शासनादेश ने शनिवार को सोशल मीडिया और शिक्षकों के बीच हलचल मचा दी। इस कथित आदेश में नौ मई, 2025 की तिथि डाली गई थी और इसमें कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों से वसूले जाने वाले विभिन्न प्रकार के शुल्कों में भारी बढ़ोतरी का दावा किया गया था।
वायरल हुआ फीस वृद्धि का फर्जी आदेश
वायरल हुए इस आदेश में कहा गया था कि परीक्षा शुल्क, कंप्यूटर शुल्क, खेलकूद शुल्क, विज्ञान शुल्क, पुस्तकालय शुल्क सहित कई मदों में फीस को दो से दस गुना तक बढ़ाया गया है। इतना ही नहीं, आदेश में बतौर जारीकर्ता ‘संयुक्त सचिव निलेष कुमार सिंह’ का नाम और हस्ताक्षर भी दिखाए गए थे। इस आदेश के सामने आते ही कई शिक्षक संगठनों ने इसका स्वागत करते हुए कहा कि इससे स्कूलों को आर्थिक मजबूती मिलेगी और संसाधनों में सुधार किया जा सकेगा।
निदेशक ने किया आदेश को फर्जी घोषित
हालांकि शिक्षा विभाग ने इस कथित शासनादेश को पूरी तरह से फर्जी करार देते हुए इसका तीखा खंडन किया है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने स्पष्ट किया कि विभाग की ओर से ऐसी कोई अधिसूचना या आदेश जारी नहीं किया गया है। उन्होंने इसे गुमराह करने वाली जानकारी बताया और लोगों से अपील की कि वे केवल अधिकृत माध्यमों से प्राप्त सूचना पर ही भरोसा करें।
इस नाम का कोई अधिकारी विभाग में नहीं
शिक्षा विभाग के उप सचिव संजय कुमार ने भी पुष्टि की कि 'निलेष कुमार सिंह' नाम का कोई अधिकारी इस समय विभाग में कार्यरत नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा विभागीय प्रक्रिया की नकल करते हुए यह फर्जी आदेश तैयार किया गया है, जिससे छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई।
साइबर सेल को भी दी गई जानकारी
फर्जी आदेश के वायरल होते ही विभाग ने तत्काल जांच शुरू कर दी है और इस पूरे मामले की तह तक जाने के लिए साइबर सेल की मदद भी ली जा रही है। विभाग यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि इस अफवाह के पीछे किसका हाथ है और इसका उद्देश्य क्या था। शिक्षा विभाग ने दोहराया कि प्रदेश के किसी भी राजकीय या सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में इस समय कोई शुल्क वृद्धि प्रस्तावित नहीं है। वर्तमान में लागू शुल्क प्रणाली यथावत जारी रहेगी।