प्रदेश के राजस्व विभाग में कर्मचारी-अफसरों की रिक्तियां हैं। काम का बोझ लगातार बढ़ रहा है। इसी वजह से एक राजस्व निरीक्षक ब्रेन हेम्ब्रेज का शिकार हो गया। नाराज तमाम विभागों के राजस्व कर्मचारियों की यूनियन ने शासन को चेतावनी दी है कि काम का बोझ कम करो, वरना आंदोलन करेंगे।
ये है मामला
उ.प्र.स्थानीय निकाय केंद्रीयत राजस्व सेवा कर्मचारी कल्याण एसोसिएशन के अध्यक्ष के हस्ताक्षर से एक पत्र सूबे के प्रमुख सचिव निकाय समेत कई अफसरों को भेजकर नाराजगी जताते हुए आरोप लगाया गया कि अफसर राजस्व विभाग के कर्मचारियों जिनमें राजस्व निरीक्षक तक शामिल हैं, से सुबह आठ बजे से रात 11 बजे तक काम लेते हैं। यही नहीं कर्मचारियों को अवकाश के दिनों में भी काम पर लगाया जाता है। एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि काम के अत्यधिक बोझ और इसकी वजह से पड़ने वाले शारीरिक और मानसिक दवाब के चलते लखनऊ के एक राजस्व निरीक्षक सहित दो कर्मचारी ब्रेन हैम्ब्रेज के शिकार हो चुके हैं। उन्होंने इसकी बड़ी वजह विभाग में स्टाफ की कमी और भर्ती नहीं होने के साथ-साथ काम के बढ़ते दवाब को बताया। एसोसिएशन अध्यक्ष ने चेतावनी दी है कि तत्काल समाधान निकाला जाए, वरना प्रदेश व्यापी आंदोलन होगा। इस पत्र की कॉपी अधिकारियों के अलावा पूरे प्रदेश के तमाम राजस्व विभाग के संगठनों को भी भेजी गई है।
दो कर्मियों को हो चुका है ब्रेन हैम्ब्रेज
कर्मचारी यूनियन के पत्र में जिक्र किया गया है कि बीती दो फरवरी को लखऩऊ नगर निगम में तैनात राजस्व निरीक्षक शिवेंद्र मिश्रा को विभागीय कार्य के अत्यधिक दवाब के चलते ब्रेन हैम्ब्रेज हो गया था। जो मेंदाता अस्पताल में भर्ती हैं। जबकि करीब एक महीने पहले इसी विभाग के रमेश गिरी भी इसी तरह शिकार हुए और अब तक ईलाज करा रहे हैं।
आबादी बढ़ रही, रिकवरी भी, कर्मचारी घट रहे
कर्मचारी यूनियन का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार एवं उत्तर प्रदेश शासन की ग़लत नीतियों एवं राज्य कर्मचारियों की भर्ती न किए जाने के कारण हमारे राजस्व सेवा के कर्मियों को कार्य क्षमता से अधिक कार्य करना पड़ रहा है। बढ़ी हुई आबादी एवं बढ़े हुए कार्य क्षेत्र के अनुरूप सरकार एवं शासन निरन्तर वसूली लक्ष्य तो बढ़ा रहा है, मगर कर्मचारियों की भर्ती नहीं कर रहा। साथ ही साथ निकायो को यह भी निर्देश दिए जा रहे है कि निकायों पर अतिरिक्त आने वाले व्यय-भार को अपने आय स्रोत से वहन करें। मरता क्या न करता। सरकार एवं शासन जबरा मारे और रोने भी न दे की नीति पर काम कर रही है। जो न्याय संगत नहीं है। सरकार एवं शासन द्वारा बढ़ी हुई आबादी एवं बढ़े हुए कार्य क्षेत्र के अनुरूप राजस्व कर्मियों का लगातार मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न किया जा रहा है।
ना सुरक्षा, ना ईलाज, भर्ती भी बंद, ऊपर से काम का 4गुना बोझ
राजस्व विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि अरसे से विभाग में कर्मचारी औऱ अफसरों की नियम के मुताबिक भर्ती नहीं हो रही। ढेरों पद रिक्त हैं। आलम ये है कि एक-एक कर्मचारी पर चार-चार कर्मचारियों के काम का बोझ है। उसके बावजूद अफसर सुबह आठ बजे से रात 11-11 बजे तक काम करा रहे हैं। इतना ही नहीं अवकाश के दिनों में भी उनसे काम लिया जा रहा है। इसके साथ-साथ न तो उनके इलाज की कोई व्यवस्था है और ना ही वसूली के दौरान उनकी सुरक्षा की।
इन संगठनों ने जताई नाराजगी
उ.प्र.स्थानीय निकाय केंद्रीयत राजस्व सेवा कर्मचारी कल्याण एसोसिएशन के अलावा उ.प्र.स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ ने भी इन हालातों पर नाराजगी जताते हुए उच्चाधिकारियों को चेताया है।
इन-इन उच्चाधिकारियों को भेजा चेतावनी पत्र
संगठनों की ओर से संयुक्त रूप से भेजे गए अपने चेतावनी पत्र की प्रतियां प्रमुख सचिव नगर विकास उत्तर प्रदेश, निदेशक स्थानीय निकाय निदेशालय यूपी शासन और प्रदेश के सभी निकायों के कर्मचारी संगठनों को भी भेजी हैं।
संगठनों की पांच सूत्रीय मांग
1-कर्मचारियों से राजस्व वसूली के अलावा ऑफ लाइन या ऑन लाईन होने वाली बैठकों सहित तमाम काम कार्यावधि में ही कराया जाए।
2-राजस्व वसूली से जुड़े सभी कर्मचारियों को उनके कार्य स्थल पर सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए, ताकि कोई अनहोनी न हो।
3-शासन द्वारा तय मेडिकल, अर्जित और आकस्मिक अवकाश कर्मचारियों को उनकी जरूरत के हिसाब से दिए जाएं।
4-महिला कर्मचारियों से कार्यालय की कार्यावधि या अवकाश अवकाश की आवश्यकता के हिसाब से ही काम लिया जाए।
5-सभी कर्मचारियों को पूर्व में सरकार की तरफ से दिए जा रहे स्वास्थ्य स्मार्ट कार दोबारा मुहैया कराए जाएं।
संगठन की चेतावनी
उ.प्र.स्थानीय निकाय केंद्रीयत राजस्व सेवा कर्मचारी कल्याण एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष प्रशांत मिश्रा की ओर से इस बाबत लखनऊ की महापौर और नगर आयुक्त को संबोधित पत्र में कहा गया है कि इस तरह की दमनात्मक नीतियों और उत्पीड़न से निगम के कर्मचारियों और अफसरों का मनोबल गिर रहा है। जिससे सरकार और निगम की प्राथमिकता वाले काम प्रभावित हो रहे हैं। प्रशांत मिश्रा का कहना है कि समय रहते इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कोई निर्णय लिया जाए जो सरकार, निगम और अफसर कर्मचारियों के साथ संगठन हित में हो। साथ ही चेताया गया है कि ऐसा जल्द से जल्द किया जाए, वरना उन्हें संगठन के बैनर तले आंदोलन करना होगा।
प्रमुख सचिव नगर विकास बोले-जांच कराकर लेंगे फैसला
इस मामले में प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात का कहना कि अभी उन्हें कोई ज्ञापन नहीं मिला है। जैसे ही उनके पास पहुंचेगा जाँच कराकर कोई फैसला लिया जाएगा।
प्रदेश अध्यक्ष बोले-स्पीड पोस्ट से भेजा
इस बाबत प्रदेश अध्यक्ष प्रशांत मिश्रा ने कहा कि सूबे में 18 निगम, नगरपालिकाएं नगर पंचायतें हैं। सब जगह राजस्व विभाग से जुड़े कर्मियों का कमोवेश यही हाल है। ज्ञापन की प्रति स्पीड पोस्ट से भी भेजी गई हैं। जाहिर है कि नहीं मिली तो मिल जाएगी। उच्चाधिकारियों ने जल्द कोई सकारात्मक फैसला नहीं किया तो बड़े आंदोलन की रूपरेखा बनाने को मजबूर होना होगा।