लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। बिजली कर्मचारियों के लगातार विरोध के बावजूद प्रदेश सरकार जल्द ही पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को निजी हाथों में सौंपने जा रही है। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में एनर्जी टास्क फोर्स (इम्पावर्ड कमेटी) की बैठक में निजीकरण से संबंधित बिडिंग डॉक्यूमेंट के मसौदे को मंजूरी दे दी गई। साथ ही पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन को निजीकरण की प्रक्रिया पूरी करने के लिए अधिकृत कर दिया गया है। अब पावर कॉरपोरेशन निजीकरण से जुड़े दस्तावेजों पर विद्युत नियामक आयोग से अभिमत लेकर अंतिम प्रस्ताव तैयार करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही दोनों डिस्कॉम के 42 जिलों (शहरी और ग्रामीण) में बिजली आपूर्ति निजी कंपनियों के हाथों में होगी।
इम्पावर्ड कमेटी ने बिडिंग दस्तावेज को दी मंजूरी
एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में पावर कॉरपोरेशन ने निजीकरण संबंधी बिडिंग दस्तावेज प्रस्तुत किया। इसे सलाहकार कंपनी ग्रांट थार्नटन ने तैयार किया था। भारत सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर बैठक में शामिल ऊर्जा मंत्रालय के निदेशक प्रष्णव तायल की मौजूदगी में दस्तावेज पर विचार-विमर्श हुआ। चर्चा के बाद इम्पावर्ड कमेटी ने बिडिंग दस्तावेज को मंजूरी दे दी। कमेटी ने निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए पावर कारपोरेशन को अधिकृत करने का फैसला किया।
कर्मचारियों की नहीं होगी छंटनी
कमेटी ने पावर कॉरपोरेशन को निर्देशित किया कि निजीकरण से संबंधी सभी दस्तावेजों को अभिमत के लिए विद्युत नियामक आयोग को भेजा जाए। आयोग की अनुमति मिलने के बाद दस्तावेजों के प्रारूप को अंतिम रूप दिया जाए। बैठक में यह भी निर्देश दिए गए कि कर्मचारियों की सेवा शर्तें, पदोन्नति, सेवानिवृत्ति पर पेंशन और भत्ते तथा रियायती दर पर विद्युत आपूर्ति की सुविधा यथावत बनी रहेगी। साथ ही किसी भी कर्मचारी की सेवा समाप्त नहीं की जाएगी। इसके अलावा कारपोरेशन प्रबंधन अपने कार्मिकों को आश्वस्त करे कि उसके साथ ही राज्य सरकार सभी कार्मिकों के हितों के संरक्षण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। निजीकरण संबंधी अनुबंध में लिखित रूप में इसे शामिल किया जाएगा।
निजी क्षेत्र की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी
निजीकरण के लिए प्रस्तावित पांच नई कंपनियां (पूर्वांचल डिस्काम में तीन व दक्षिणांचल में दो) में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी क्षेत्र की जबकि शेष 49 प्रतिशत राज्य सरकार की होगी। नई कंपनियों के अध्यक्ष मुख्य सचिव और प्रबंध निदेशक का पद निजी क्षेत्र के पार्टनर के पास रहेगा। निदेशक मंडल में राज्य सरकार व निजी क्षेत्र के सदस्य होंगे।
दोनों डिस्कॉम को आर्थिक घाटा
राज्य के 75 में से 42 जिलों में बिजली आपूर्ति करने वाले पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्कॉम को बिजली चोरी सहित दूसरे तमाम कारणों से आर्थिक घाटा हो रहा है। पूर्वांचल से प्रति यूनिट 4.33 रुपये और दक्षिणांचल से 3.99 रुपये की कम वसूली के कारण पावर कॉरपोरेशन का घाटा बढ़ता जा रहा है। ये घाटे प्रदेश की औसत हानि (3.25 रुपये प्रति यूनिट) से अधिक हैं, इसलिए सरकार इन दोनों डिस्कॉम के निजीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। प्रबंधन के अनुसार, अगले वित्तीय वर्ष में 65,000 करोड़ रुपये तक का गैप यानी घाटा हो सकता है। मौजूदा वित्तीय संकट के चलते आवश्यक सुधार संभव नहीं हो पा रहे, लेकिन निजी कंपनियों के 2500 करोड़ रुपये के निवेश से बिजली अवसंरचना को मजबूती मिलेगी।