Advertisment

UP News : इस दस्तावेज के बिना स्कूल में बच्चे का नहीं होगा दाखिला, बनवाने का आसान तरीका जानें

जन्म एवं मृत्यु की घटना के पंजीकरण की समय-सीमा भी तय कर दी गई है। यदि यह घटना 21 दिन के भीतर पंजीकृत कराई जाती है तो कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। 22 से 30 दिन के भीतर पंजीकरण पर 2 रुपये विलंब शुल्क लगेगा।

author-image
Abhishek Mishra
Without this document child not admitted school

इस दस्तावेज के बिना स्कूल में बच्चे का नहीं होगा दाखिला

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। भारत सरकार के निर्देशों के क्रम में उत्तर प्रदेश में 1 अक्टूबर 2023 के बाद जन्म लेने वाले बच्चों की जन्म तिथि और जन्म स्थान के प्रमाण के लिए जन्म प्रमाणपत्र को एकमात्र विधिमान्य दस्तावेज के रूप में अनिवार्य कर दिया गया है। इसके साथ ही प्रदेश में अब प्रत्येक जन्म एवं मृत्यु की घटना का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। इस संबंध में निदेशक एवं संयुक्त महारजिस्ट्रार (सीआरएस) स्पष्ट आदेश जारी कर दिए गए हैं।

Advertisment

ऑनलाइन पंजीकरण हुआ अनिवार्य

सीआरएस ने बताया कि जन्म-मृत्यु की घटना जहां घटित होगी, वहीं के संबंधित रजिस्ट्रार द्वारा उसका पंजीकरण किया जाएगा। इसके लिए नगर निगमों के जोनल अधिकारी, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी, सरकारी चिकित्सालयों में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, स्वास्थ्य उप केंद्रों पर कार्यरत एएनएम तथा ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास अधिकारी या ग्राम पंचायत अधिकारी को रजिस्ट्रार के रूप में अधिसूचित किया गया है।

21 दिन के अंदर पंजीकरण पर शुल्क नहीं

Advertisment

जन्म एवं मृत्यु की घटना के पंजीकरण की समय-सीमा भी तय कर दी गई है। यदि यह घटना 21 दिन के भीतर पंजीकृत कराई जाती है तो कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। 22 से 30 दिन के भीतर पंजीकरण पर 2 रुपये विलंब शुल्क लगेगा और रजिस्ट्रार की अनुमति आवश्यक होगी। 31 दिन से लेकर एक वर्ष तक की विलंबित घटनाओं को पंजीकृत करने के लिए नगरीय क्षेत्र में मुख्य चिकित्साधिकारी और ग्रामीण क्षेत्र में जिला पंचायत राज अधिकारी की अनुमति के साथ 5 रुपये का शुल्क लिया जाएगा। एक वर्ष से अधिक विलंब होने पर संबंधित उप जिलाधिकारी की अनुमति एवं 10 रुपये विलंब शुल्क के साथ पंजीकरण किया जाएगा।

रजिस्ट्रार की अनुमति के बाद प्रमाणपत्र होगा उपलब्ध 

इसके अलावा सभी प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम को भी सूचनादाता के रूप में अधिसूचित किया गया है। उन्हें विशेष आईडी प्रदान की गई हैं, जिनके माध्यम से वे संबंधित रजिस्ट्रार को ऑनलाइन सूचना भेजते हैं और रजिस्ट्रार की अनुमति के बाद प्रमाणपत्र परिजनों को उपलब्ध कराया जाता है।

Advertisment

केवल ऑनलाइन पंजीकरण ही वैध माना जाएगा

सीआरएस ने यह भी स्पष्ट किया कि 1 फरवरी 2020 से केवल ऑनलाइन पंजीकरण ही वैध माना जाएगा। इसके अतिरिक्त किसी अन्य माध्यम जैसे हस्तलिखित प्रमाणपत्र या अन्य पोर्टल से जारी प्रमाणपत्र पूर्णत: अवैध घोषित किए गए हैं। हालांकि, 1 फरवरी 2020 से पूर्व के ऐसे प्रमाणपत्रों को संबंधित रजिस्ट्रार द्वारा QR कोड युक्त सीआरएस प्रमाणपत्र में डिजिटाइज किया जा सकता है।

दस्तावेजों को पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य

Advertisment

भारत सरकार के नवीन सीआरएस पोर्टल के माध्यम से आम नागरिक भी घर में घटित जन्म या मृत्यु की घटनाओं का पंजीकरण 21 दिन की समय-सीमा के भीतर स्वयं ऑनलाइन कर सकते हैं। इसके लिए आधार कार्ड, पता प्रमाण, अस्पताल का डिस्चार्ज पेपर जैसे आवश्यक दस्तावेजों को पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा। इस कार्य में आमजन को सहायता प्रदान करने के लिए दिव्या जैन (मोबाइल नं: 8604000883) एवं डॉ. गौरव पांडेय (मोबाइल नं: 9764201288) को उप निदेशक के रूप में नामित किया गया है। सरकार का यह कदम पंजीकरण प्रणाली को पारदर्शी और सटीक बनाने की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है।

Advertisment
Advertisment