लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। लखनऊ विश्वविद्यालय में गुरुवार को विश्व पर्यावरण दिवस बड़े ही उत्साह और जागरूकता के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के ग्राउंड्स एवं गार्डन विभाग और डीन, छात्र कल्याण (DSW) कार्यालय द्वारा वृक्षारोपण एवं स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
DSW लॉन और सरस्वती वाटिका में सम्पन्न हुआ आयोजन
कार्यक्रम का नेतृत्व विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने किया। वाणिज्य विभाग परिसर में आयोजित कार्यक्रम का समन्वय ग्राउंड्स एवं गार्डन विभाग के अधीक्षक प्रो. एसएन पांडेय ने किया। कार्यक्रम वाणिज्य विभाग परिसर, डीएसडब्ल्यू लॉन और सरस्वती वाटिका में सम्पन्न हुआ।
प्रदर्शनी और कई कार्यक्रम किए गए आयोजित
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों, शोधार्थियों, कर्मचारियों और छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। वृक्षारोपण, स्वच्छता अभियान, पौधों का वितरण और पोस्टर प्रदर्शनी जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। छात्रों ने ‘पुनर्चक्रण’, ‘प्रदूषण नियंत्रण’, और ‘पर्यावरण संरक्षण’ जैसे विषयों पर पोस्टर बनाए और परिसर की सफाई में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
वृक्षारोपण अभियान के तहत लगाए गए प्रमुख पौधे
वृक्षारोपण अभियान के तहत विश्वविद्यालय परिसर में विभिन्न प्रकार के पौधे रोपे गए, जिनमें शोभा वृक्षों के रूप में क्रोटन, लैजेस्ट्रोमिया, इक्सोरा, प्लूमेरिया और टेबरनेमोंटाना शामिल रहे। औषधीय एवं उपयोगी पौधों में तुलसी, एलोवेरा, मुर्रया (करी पत्ता), चमेली और रात की रानी जैसे सुगंधित एवं स्वास्थ्यवर्धक पौधे लगाए गए। परिसर की दीवारों और खंभों को हरा-भरा बनाने के उद्देश्य से रंगून क्रीपर और सावनी जैसे बेल पौधों का भी रोपण किया गया। इसके अतिरिक्त, पर्यावरण को हरित और पोषण से भरपूर बनाने की दिशा में आम और अमरूद जैसे फलदार वृक्षों का भी विशेष रूप से चयन कर रोपण किया गया।
छोटे प्रयास ला सकते हैं बड़े बदलाव
विश्वविद्यालय परिसर को हरित और स्वच्छ बनाने के उद्देश्य से इन पौधों का चयन किया गया। वनस्पति विज्ञान विभाग (Department of Botany) ने भी पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में वृक्षारोपण कर कार्यक्रम में अपनी सहभागिता दर्ज कराई। कार्यक्रम के अंत में कुलपति प्रो. राय ने सभी प्रतिभागियों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक रहने और सतत प्रयास करते रहने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे प्रयास मिलकर बड़े बदलाव ला सकते हैं और एक स्वच्छ, हरित भविष्य की नींव रख सकते हैं।