पटना, वाईबीएन नेटवर्क
बिहार से प्रयागराज, महाकुंभ के लिए जाने वाली ट्रेनों के हालात भयावह हैं। लोगों की इस मनोदशा को समझ पाना मुश्किल है कि इस तरह से अगर संगम में डुबकी लगा भी लिए तो क्या हासिल कर लेंगे ? बिहार के अलग -अलग रेलवे स्टेशनों और प्रयागराज की सड़को की जो तस्वीरें सामने आ रही है वो भयावह है। डराने वाली है। आखिर ये मारपीट, होड़, संघर्ष, तोड़फोड़ क्यों? एक कहावत है 'मन चंगा कठोती में गंगा'। अगर आपका मन साफ है तो आपको कही जाने की जरूरत नहीं। लोग ये बाते अक्सर कहते हैं लेकिन इस वक्त लोगों पर बस महाकुंभ पहुंचने का खुमार है। लोग सोच नहीं पा रहे हैं। अपनी ही कहीं बातों को भूल गए हैं।
भारतीय रेल का ऐतिहासिक बांस युद्ध
बुधवार, 12 फरवरी को बिहार के पटना रेलवे स्टेशन से जो तस्वीरें सामने आई है। वो मूर्खता को दर्शाती है। स्टेशन पर खड़े लोग ट्रेन के अंदर बैठे लोगों को बांस से मार कर हटा रहे हैं। ताकि उन्हें जगह मिले। पटना स्टेशन पर भारी भीड़ थी, स्थिति ऐसी हुई कि रिजर्वेशन बोगियों पर भी भीड़ ने कब्जा कर लिया, और इसी के बाद शुरू हो गया बांस युद्ध।
पटना स्टेशन पैक, इमेरजेंसी खिड़की से घुसे लोग
पटना रेलवे स्टेशन बुधवार 12 फरवरी को पूरी तरह से पैक दिखा। कई यात्रियों की ट्रेने छूट गई। ट्रेनों की चेन भी पुलिंग की गयी। भीड़ इतनी थी कि पटना जंक्शन का एक्सेलेटर ओवरलोड हो गया। विक्रमशिला एक्सप्रेस जैसे ही पटना जंक्शन पर पहुंची हजारों की भीड़ टूट पड़ी। धक्का -मुक्का में लोग गिर गए। बच्चे रोने लगे। रिजर्व सीट वाले अपने सीट तक पहुंच ही नहीं पाए। कई लोग इमरजेंसी खिड़की से अंदर घुसते नजर आए। यह भीड़ इसलिए उमड़ी क्योंकि लोगों में अफवाह फैल गई थी कि बिना टिकट भी यात्रा कर सकते हैं। लोग बिना टिकट भी यात्रा के लिए पटना स्टेशन पहुंच गए।