लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता
संगम के तट पर आयोजित महाकुंभ ने इस बार अपनी दिव्यता और सुव्यवस्था के साथ 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं का अभूतपूर्व स्वागत किया। संगम के तट पर आयोजित इस महाकुंभ में 144 वर्षों बाद बने विशेष पुण्य संयोग ने देश-विदेश से श्रद्धालुओं को आकर्षित किया। इस दौरान कई लोग एक-दूसरे से बिछड़ गए, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार की चतुराई और उनके बिछड़े हुए लोगों को उनके परिवारों से जोड़ने के प्रयासों से इस महाकुंभ में 54,357 लोगों को उनके परिवार से मिलाया गया। इनमें महिलाओं की संख्या अधिक थी। राज्य पुलिस ने भी विभिन्न राज्यों और नेपाल से आए श्रद्धालुओं के पुनर्मिलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डिजिटल खोया-पाया केंद्रों की रही अहम भूमिका
महाकुंभ के आयोजन को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिनमें सबसे अहम था डिजिटल खोया-पाया केंद्रों की स्थापना। इन केंद्रों की मदद से लगभग 35,000 श्रद्धालुओं को उनके परिवार से मिलाया गया। मकर संक्रांति (13, 14, 15 जनवरी), मौनी अमावस्या (28, 29, 30 जनवरी) और बसंत पंचमी (2, 3, 4 फरवरी) के दौरान खोए हुए श्रद्धालुओं को शीघ्रता से उनके परिवारों से मिलवाया गया। इसके अलावा, अन्य दिनों में 24,896 लोगों का भी सफल पुनर्मिलन हुआ।
एआई-आधारित तकनीक का उपयोग
महाकुंभ में राज्य सरकार के अलावा निजी संस्थाओं ने भी सहयोग किया। 10 डिजिटल खोया-पाया केंद्र स्थापित किए गए, जिनमें अत्याधुनिक एआई-आधारित चेहरे की पहचान तकनीक और बहुभाषीय सहायता जैसी सुविधाएं दी गईं। भारत सेवा केंद्र और हेमवती नंदन बहुगुणा स्मृति समिति जैसे गैर-सरकारी संगठनों ने भी अपने प्रयासों से बिछड़े हुए लोगों को उनके परिवारों से मिलाने में अहम भूमिका निभाई। भारत सेवा केंद्र के अनुसार, इस शिविर ने 19,274 लोगों को उनके परिवारों से मिलाया, और साथ ही 18 बच्चों का भी पुनर्मिलन उनके परिवारों से कराया। महाकुंभ के समापन तक, खोया-पाया केंद्रों और शिविरों की मदद से बिछड़े हुए सभी श्रद्धालुओं का उनके परिवार से मिलन सुनिश्चित किया गया। इस पूरे प्रयास को लेकर हर कोई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार व्यक्त करता नजर आया।