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Mahakumbh 2025: कुंभ में दिखा "आस्था और अवसर" का "संगम"

Mahakumbh 2025: महाकुंभ के प्रथम अमृत स्नान पर्व मकर संक्रांति के अवसर पर प्रयागराज में आस्था का अद्भुत नज़ारा देखने को मिला। करोड़ों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया।

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Kamal K Singh
KINNER AKHADA SNAN
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संदीप तिवारी, महाकुंभ नगर। 

महाकुंभ के प्रथम अमृत स्नान पर्व मकर संक्रांति के अवसर पर प्रयागराज में आस्था का अद्भुत नज़ारा देखने को मिला। करोड़ों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। सुबह से ही संगम के तट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी, जिन्होंने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के मिलन स्थल पर स्नान कर अपने जीवन को धन्य किया।

जहां मकर संक्रांति का पर्व श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक अनुभव लेकर आया, वहीं यह पर्व कई स्थानीय लोगों के लिए कमाई का अवसर बन गया। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते ई-रिक्शा चालकों, बाइक सवार युवाओं और टैक्सी चालकों ने मनमाने किराए वसूलने शुरू कर दिए।

ई-रिक्शा चालकों ने इस अवसर पर किराए को कई गुना बढ़ा दिया। श्रद्धालुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए बेतहाशा पैसे वसूले गए। वहीं, सैकड़ों की संख्या में  बाइक सवार नौजवान  श्रद्धालुओं को रेलवे स्टेशन, बस अड्डे और संगम तक पहुंचाने के लिए सक्रिय दिखे। इन बाइक सवारों ने प्रति सवारी 100 से 200 तक वसूले और दिनभर में हजारों रुपये की कमाई की।

सिविल लाइंस बस अड्डे पर प्राइवेट टैक्सी चालकों ने भी श्रद्धालुओं से मनमाने पैसे वसूले। लखनऊ और वाराणसी जाने वाले यात्रियों से 1000 प्रति सवारी तक वसूला गया। श्रद्धालुओं ने शिकायत की कि यह दरें सामान्य किराए से कहीं अधिक हैं, लेकिन मजबूरी में उन्हें इस खर्च को वहन करना पड़ा।

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जहां एक तरफ श्रद्धालुओं को गंगा में आस्था की डुबकी लगाने का सौभाग्य मिला, वहीं दूसरी तरफ यात्रा के दौरान होने वाली इन कठिनाइयों ने उनकी धार्मिक यात्रा को कड़वा अनुभव बना दिया। श्रद्धालुओं ने सरकार और स्थानीय प्रशासन से मांग की कि महाकुंभ जैसे पवित्र अवसर पर ऐसी मनमानी वसूली पर अंकुश लगाया जाए।

श्रद्धालुओं ने कहा कि सरकार को बेहतर परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए थी। इस तरह की मनमानी न केवल श्रद्धालुओं की जेब पर भारी पड़ती है, बल्कि प्रयागराज की व्यवस्थाओं पर भी सवाल उठाती है।

मकर संक्रांति पर प्रयागराज में आस्था और अवसर दोनों का संगम देखने को मिला। जहां संगम स्नान ने करोड़ों श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति दी, वहीं मनमाने किराए और अव्यवस्था ने उनकी यात्रा को असुविधाजनक बना दिया। 

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