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Mahashivratri पूजन के साथ संपन्न होगा Mahakumbh, जूना पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरि बोले- यह सनातन संस्कृति और सामाजिक एकता का प्रतीक

जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने महाकुंभ को भारत की सनातन संस्कृति और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह आयोजन विश्व में अनूठा है।

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Deepak Yadav
जूना पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि

जूना पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईवीएन नेटवर्क

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अखाड़ों की विदाई के साथ महाशिवरात्रि पर होगा महाकुंभी का अंतिम पूजन

प्रयागराज में महाकुम्भ अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है। जहां करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था, अखाड़ों की दिव्यता और संतों के आशीर्वाद ने इसे ऐतिहासिक बना दिया। बुधवार को महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर अंतिम पूजन के साथ कुम्भ के धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण होंगे। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने इसे भारत की सनातन संस्कृति और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह आयोजन विश्व में अनूठा है। इस अद्भुत आयोजन को सफल बनाने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बधाई दी।

महाकुम्भ हमारी दिव्यता का प्रतीक

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जूना पीठाधीश्वर ने महाकुम्भ के समापन पर कहा, 'महाकुम्भ हमारी दिव्यताओं का प्रतीक है। हमारी संस्कृति तब से चली आ रही है जब से अम्बर, अग्नि, जल, वायु और मानव अस्तित्व में आए।' उन्होंने बताया कि कुम्भ के सभी धार्मिक अनुष्ठान पूरे होने के बाद वे काशी पहुंच चुके हैं। महाशिवरात्रि के ‘पूजन’ के साथ महाकुम्भ की परंपराएं विधिवत संपन्न हो जाएंगी।

एकता और सामाजिक समरसता की मिसाल

जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर ने कहा, 'हमने यहां एकता और सामाजिक समरसता का अद्भुत संगम देखा। पूरा विश्व यह देखकर चकित है कि कैसे करोड़ों भारतीय एकजुट हुए।"उन्होंने इस आयोजन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि "यूनिस्को ने इसे अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता दी है। 60-62 करोड़ लोगों का एक ही शहर में आना, यह अपने आप में एक अनोखी घटना रही।'

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