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Mahakumbh 2025 - पवित्र स्नान करने के बाद सीएम देवेंद्र फडणवीस परिवार संग पहुंचे वाराणसी

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस भी अपने परिवार के साथ महाकुंभ नगरी पहुंच गए हैं । एक्स पर एक पोस्ट शेयर करते हुए उन्होंने लिखा कि बनारस की गुलाबी ठंड और गर्म चाय । मैं भाग्यशाली हूं कि यहां आ सका ।

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YBN News
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Photograph: (X)

वाराणसी , आईएएनएस । 

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उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित भव्य महाकुंभ में शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने परिवार के साथ पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाई। इसके बाद वह परिवार के साथ वाराणसी पहुंचे। उन्होंने परिवार के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन किए। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दो तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा, "बनारस की गुलाबी ठंड और गरम चाय।"

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पोस्ट लिख दी जानकारी

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सीएम ने दूसरे पोस्ट में लिखा, "वाराणसी के प्रमुख पर्यटन स्थल एवं दुनिया के सबसे अत्याधुनिक 'नमो घाट' पर भेंट दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संकल्पना से बना यह घाट पारंपरिक लोकाचार के साथ-साथ आधुनिकता का एक शानदार तालमेल है। इस घाट पर भारत की प्राचीन एवं महान संस्कृति की भव्यता को साफ देखा जा सकता है।"

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तीसरी पोस्ट में लिखा

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तीसरे पोस्ट में सीएम ने लिखा, "बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में भाजपा के स्थानीय नेता और कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए उत्साहपूर्ण स्वागत से अभिभूत हूं। आप सभी के स्नेह और अपनत्व के लिए हृदय से आभार।" सीएम फडणवीस ने महाकुंभ पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा उठाए जा रहे सवाल पर कहा कि आरोप लगाने वालों को इतिहास याद नहीं रखता, इतिहास उन्हें याद रखता है जो कर्म करते हैं। योगी जी को इतिहास याद रखेगा।

फणनवीस बोले - मैं भाग्यशाली हूं

उल्लेखनीय है कि प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में स्नान करने के बाद सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "मैं भाग्यशाली हूं कि अपने परिवार के साथ महाकुंभ में पवित्र स्नान करने आया हूं। 144 साल बाद यह कुंभ ऐसा योग लेकर आया है। मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बधाई देना चाहता हूं कि यहां पर बहुत ही अच्छी व्यवस्था की गई है। कुंभ में आने वाले सभी श्रद्धालु प्रसन्न हैं। मैं समझता हूं कि यहां पर नया इतिहास बन रहा है। दुनिया के लोग भी अचंभित हैं, इस आस्था के कुंभ को लेकर दुनिया अचरज में है कि इतने लोग कैसे आए, कैसे मैनेज हुए।" उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति की महानता है कि लोग यहां खींचे चले आते हैं। जो लोग नहीं आ पाते हैं, वे भी यहां के गंगाजल को दूसरे श्रद्धालुओं से लेकर पुण्य कमा लेते हैं।

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