वाईबीएन, संवाददाता।
ठगी का शिकार हुए लोगों ने सोमवार को मंडलायुक्त को ज्ञापन सौंपा। जिसमें बताया कि प्राइवेट कम्पनी झांसे में लेकर फ्रांड करके फरार हो जाती है, प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा अगर वापस नहीं मिला या कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो आंदोलन किया जाएगा।
वित्तीय मामलों में 60 दिन के भीतर पीड़ितों का हो भुगतान
पीड़ितों ने आरोप लगाया कि विभिन्न चिटफंड कंपनियों और गैरकानूनी योजनाओं में निवेश करवाकर उनसे लाखों रुपये ठगे गए हैं। कई जमाकर्ताओं ने अपनी जीवनभर की कमाई इन योजनाओं में लगा दी थी, लेकिन अब वे अपने ही पैसे के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। संगठन ने बताया कि BUDS Act 2019 की धारा 7(3) के तहत जमाकर्ताओं को जल्द न्याय मिलना चाहिए।
ज्ञापन में धोखाधड़ी और वित्तीय गड़बड़ियों से जुड़े मामलों में सरकार को 60 दिन के भीतर पीड़ितों का भुगतान सुनिश्चित करें।
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लेकिन अधिकारी इस दिशा में प्रभावी कदम नहीं उठा रहे हैं ना ही अब तक ठोस कार्रवाई की गई। जिससे एजेंट्स में डर का माहौल बना हुआ है। वे पलायन कर रहे हैं व आत्महत्या करने को मजबूर न हों।
Buds Act 2019
जिला मजिस्ट्रेट को भारतीय सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 107 के तहत यह अधिकार प्राप्त है कि वे ठगी के शिकार हुए पीड़ितों का भुगतान 60 दिनों के भीतर सुनिश्चित करें।
Buds Act 2019 की धारा 7(3) सक्षम अधिकारियों को यह अधिकार प्रदान करती है कि वे ठगी गई संपत्ति को कुर्क एवं नीलाम कर निवेशकों को उनके धन की वापसी सुनिश्चित करें।
Buds Act 2019 एवं PID Act के तहत निवेशकों को उनकी जमा राशि ब्याज, मुआवजा और क्षतिपूर्ति सहित शीघ्र वापस दिलाने हेतु सक्षम अधिकारियों को निर्देश दिए जाएं।
संगठन के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि वे इस मामले को संज्ञान में लेकर उचित निर्देश जारी करें।
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