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Trump Tariff का असर, भारतीय शेयर मार्केट प्रभावित, निवेशक चिंतित, उम्मीदें भी जानें

अमेरिका के अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने से भारतीय शेयर बाजार में गिरावट दर्ज हुई है। निफ्टी धड़ाम होने से निवेशक चिंतित हो रहे हैं। जानें डॉलर- रुपया और भारत में आर्थिक सुधारों का क्या असर पड़ने वाला है।

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Shashank Bhardwaj
Indian Share Market

Simbolic Image Photograph: (Google)

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भारत पर 50 प्रतिशत ट्रंप टैरिफ लागू हो गया तथा भारतीय शेयर मार्केट में भी बड़ी गिरावट आ गई। कहा जाता है किसी घटनाक्रम, घटना पर सामान्यतया सबसे तीव्र प्रतिक्रिया शेयर मार्केट करता है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर ट्रंप टैरिफ का कितना प्रभाव पड़ेगा,कितना गंभीर प्रभाव पड़ेगा, इस पर विभिन्न प्रकार की राय है परंतु शेयर मार्केट तो एकबार धड़ाम हो गया। ट्रंप टैरिफ में बाद के दो सत्रों में निफ्टी में 286 अंकों की गिरावट आई। इस गिरावट से भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि निफ्टी की साप्ताहिक बंदी 24500 के महत्वपूर्ण स्तर से नीचे 24426 पर हुई। इससे तकनीकी स्तर पर एक बड़ी दुर्बल बंदी हो गई। पिछले सप्ताह निफ्टी  443 अंक नीचे रहा। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने नकद संभाग में 21152 हजार करोड़ रुपए का विक्रय किया तथा स्टॉक फ्यूचर में 1232 करोड़ रुपए का क्रय किया।

फ्यूचर के सौदे खरीद रहे हैं विदेशी निवेशक

ये आंकड़े दर्शाते हैं कि विदेशी संस्थागत निवेशक डिलीवरी आधारित बिकवाली कर रहें हैं, फ्यूचर के सौदे में वो क्रेता हैं।जुलाई में भी उन्होंने स्टॉक फ्यूचर में 3015 करोड़ रुपए का क्रय ही किया जबकि नकद संभाग में 46902 करोड़ रुपए के शेयर बेचे। घरेलू संस्थागत निवेशकों ने अवश्य जुलाई में नकद संभाग में 94828 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे। यह विदेशी संस्थागत निवेशकों के विक्रय से दुगना क्रय था।भारत की अच्छी आर्थिक स्थिति,सरकार के द्वारा अर्थव्यवस्था के प्रोत्साहन के लिए उठाए जाने वाले संभावित पग आदि से भारतीय शेयर मार्केट में भविष्य में अच्छी संभावना है परंतु अमेरिकी टैरिफ तथा बहुत सीमा तक भारत विरोधी सा आचरण संभवतः विदेशी संस्थागत निवेशकों को निवेश से रोक रहा,बिकवाल बना दे रहा है।

अमेरिकी शेयर मार्केट नई ऊंचाइयां बना रहे हैं

विश्व की राजनीतिक धुरी भी परिवर्तन की मुद्रा में है। मोदी चीन की यात्रा से लौटे हैं। रूस- भारत के संबंध भी अधिक प्रगाढ़ हो रहें हैं यद्यपि भारत के लिए व्यापार की दृष्टि से अमेरिका अधिक महत्वपूर्ण है। देखना होगा कि भारत, चीन में कैसे दोनों के लिए विजय की स्थितियां निर्मित हो पाती हैं। यदि ऐसा कुछ हो गया, दीर्घ अवधि तक बना रहा तब तो भारत को बड़ा लाभ हो सकता है। मोदी जी चतुर तो हैं ही, व्यापारिक विषयों में भी।  अमेरिकी शेयर मार्केट सतत नईं ऊंचाइयां बना रहें हैं। अब तो वहां का भी केंद्रीय बैंक फेड ब्याज दरों में आक्रामक कटौती की संभावना के संकेत देने लगा है। अमेरिका के न्यायालय ने  ट्रंप के टैरिफ लगाने की अधिकार को ही गलत ठहरा दिया है। अब ये विषय सर्वोच्च न्यायालय में चल गया है। यदि यह रोक बनी रहती है तो फिर भारतीय शेयर मार्केट में बहुत बड़ा उछाल दिख सकता है।

भारत में बड़े आर्थिक सुधार, परिवर्तन की उम्मीद

भारत में बड़े आर्थिक सुधार की बातें आ रहीं हैं जिससे एक आवश्यक तथा अपेक्षित आमूल चूल परिवर्तन आ सकता है जो भविष्य के एक समृद्ध तथा विकसित भारत की आधारशिला हो सकती है। 2038 तक दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था की बात कही जाने भी लगी है। वित्त वर्ष 2025- 26 की प्रथम तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत आई है। जीएसटी में कमी के बाद तो घरेलू उपभोक्ता मांग में अधिक वृद्धि होगी। अर्थव्यवस्था तो उच्च गति में रहेगी ही।
टैरिफ वृद्धि पर अमेरिका को कुछ सद्बुद्धि आए,व्यवहारिकता आए तो भारतीय शेयर मार्केट का एक स्वर्णिम काल प्रारंभ हो सकता है।

लोगों की अच्छी आर्थिक स्थिति के संकेत

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घरेलू उपभोग की वस्तुओं, सरकारी बैंक, खाद कंपनियों के शेयर में विभिन्न भावों में क्रय किया जा सकता है। क्रूड के भाव निचले स्तरों पर 67.48 डॉलर प्रति बैरेल है। डॉलर इंडेक्स भी 97.96 है। ये भारतीय शेयर मार्केट के लिए सकारात्मक ही हैं।
छोटे निवेशकों के डीमैट खाते लगातार बड़ी संख्या में खुलने का क्रम बना हुआ है। भारतीय पेंशन फंड का आकार 15 लाख करोड़ रुपए हो गया है। घरों के मूल्यों में 5 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी जा रही है जो लोगों की अच्छी आर्थिक स्थिति होते जाने रहने का परिचायक है।

पहली बार डॉलर की तुलना में रुपया 88 के पार

म्यूचुअल फंड बैंक डिपॉजिट का 31 प्रतिशत हो गया है जो 10 वर्ष पूर्व 10 प्रतिशत ही था। यह भारतीयों के मध्य शेयर मार्केट के प्रति बढ़ती रुचि का प्रतीक है। पहली बार डॉलर की तुलना में रुपया 88 के स्तर को पार कर गया है। यह विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए चिंता का विषय है। तकनीकी आधार पर निफ्टी के 24600 के ऊपर बंद होने से ही मार्केट में मंदी समाप्त हो तेजी का क्रम आरंभ हो सकती है। सरकार को जीएसटी में छूट जैसे प्रोत्साहन के उपाय जैसे ही शेयर मार्केट को उत्साहित करने के लिए पूंजीगत लाभ पर कर की दरों में कमी करना चाहिए।

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