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लोन दिलाने के नाम पर 200 लोगों से ठगी, कॉल सेंटर का बड़ा खुलासा

पुलिस द्वारा की गई छापेमारी में यह बात सामने आई कि आरोपी सोशल मीडिया पर अपनी फर्जी कंपनियों का प्रचार करते थे। इसके बाद इच्छुक लोग जब इनसे संपर्क करते थे तो उनसे प्रोसेसिंग फीस और सर्विस चार्ज के नाम पर पैसे की मांग की जाती थी।

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Jyoti Yadav
कॉल सेंटर धोखाधड़ी
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नोएडा, वाईबीएन नेटवर्क 

नोएडा में एक फर्जी कॉल सेंटर के जरिए लोन दिलाने का झांसा देकर 200 से अधिक लोगों से ठगी की गई। सेक्टर-63 और सेंट्रल नोएडा साइबर टीम की संयुक्त कार्रवाई में इस गिरोह का पर्दाफाश किया गया। पुलिस ने कॉल सेंटर के सरगना और उसके दो साथी आरोपियों को गिरफ्तार किया। आरोपियों के पास से चार लैपटॉप, 14 मोबाइल, एक प्रिंटर, 18 चेकबुक, 50 विजिटिंग कार्ड, नौ मोहरे समेत अन्य सामान बरामद हुआ है। अब पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है।  

कॉल सेंटर से ठगी का तरीका

पुलिस द्वारा की गई छापेमारी में यह बात सामने आई कि आरोपी सोशल मीडिया पर अपनी फर्जी कंपनियों का प्रचार करते थे। इसके बाद इच्छुक लोग जब इनसे संपर्क करते थे तो उनसे प्रोसेसिंग फीस और सर्विस चार्ज के नाम पर पैसे की मांग की जाती थी। आरोपियों ने दावा किया था कि वे बहुत कम ब्याज दर पर लोन दिलाते हैं, लेकिन पैसे ट्रांसफर होने के बाद लोन नहीं दिया जाता था।  

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फर्जी कंपनियों का संचालन और आरोपी की गिरफ्तार

पुलिस ने कंपनी के निदेशक 31 वर्षीय अरिहंत जैन और उसके दो साथियों, धर्मेंद्र और आकाश को गिरफ्तार किया। अरिहंत, जो 10वीं कक्षा तक पढ़ा है, ने पुलिस को बताया कि वे सोशल मीडिया पर अपनी कंपनियों के जरिए लोन दिलाने के लिए प्रचार करते थे। इन कंपनियों के नाम मनी ऑन नवाकर फाइनेंशियल सर्विसेज, मनी वन मैनेजमेंट सर्विसेज, और नवाकर फाइनेंशियल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड थे। इन कंपनियों के माध्यम से ठगी के एजेंटों की मदद से धोखाधड़ी की जाती थी।  

लोन दिलाने का झांसा और एजेंटों का नेटवर्क

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एसीपी राजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि इन आरोपियों द्वारा लोन दिलाने के नाम पर सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर प्रचार किया जाता था। इच्छुक लोग जब इनसे संपर्क करते थे, तो वे उन्हें एक सप्ताह में लोन दिलाने का झांसा देते थे। इसके बाद आरोपियों ने उन से दस्तावेज प्राप्त किए और तीन प्रतिशत प्रोसेसिंग फीस और 18 प्रतिशत जीएसटी चार्ज के रूप में पैसे मांगने लगे। जब पैसे ट्रांसफर हो जाते थे, तो आरोपी यह कहते थे कि लोन स्वीकृत नहीं किया जा सकता क्योंकि संबंधित व्यक्ति का सिविल खराब है।  

आरोपियों पर कानूनी कार्रवाई और आगे की जांच

पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। साथ ही, इनकी आपराधिक गतिविधियों की जांच भी की जा रही है। अब पुलिस अन्य आरोपियों की पहचान करने के लिए जांच कर रही है जो इस ठगी में शामिल हो सकते हैं।

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