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ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण Photograph: (Google)
नोएडा, वाईबीएन डेस्क। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की ताजा रिपोर्ट में ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GNIDA) की बड़ी लापरवाहियां और अनियमितताएं उजागर हुई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, प्राधिकरण ने पिछले 21 साल में केवल 52% भूखंडों पर ही इंडस्ट्री विकसित की, जबकि बाकी परियोजनाएं अधूरी पड़ी रहीं। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भूखंड आवंटन में धांधली, बिल्डर्स पर बकाया वसूली में लापरवाही और अनुचित फायदे पहुंचाने से GNIDA को 13,362 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। अप्रैल 2021 तक भूमि प्रीमियम, पट्टा किराया और ब्याज में 19,500 करोड़ रुपए की अतिरिक्त देनदारी दर्ज की गई।
CAG रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
कैग रिपोर्ट में 2005-06 से 2017-18 के बीच भूमि अधिग्रहण, इंडस्ट्रियल, ग्रुप हाउसिंग, वाणिज्यिक, स्पोर्ट्स सिटी और संस्थागत परिसंपत्तियों के आवंटन में गंभीर खामियां उजागर हुई हैं।
- 48% परियोजनाएं अधूरी, केवल 14.52% ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट हुए पूरे।
- तकनीकी रूप से अपात्र आवेदकों को 272.70 करोड़ के भूखंड आवंटित।
- पांच डिफॉल्टर बिल्डर्स को 635 करोड़ के सात भूखंड आवंटित।
- स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट बिना मंजूरी और मानकों के शुरू, खेल इन्फ्रास्ट्रक्चर की जगह ग्रुप हाउसिंग पर फोकस।
- किसानों को अतिरिक्त मुआवजे के 5,136.93 करोड़ की वसूली नहीं हुई।
दोषी बिल्डर्स और अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की
CAG ने यह भी आरोप लगाया कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने न तो दोषी बिल्डर्स के खिलाफ कोई कार्रवाई की और न ही जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाया। आंतरिक नियंत्रण प्रणाली बेहद कमजोर पाई गई और उत्तर प्रदेश सरकार भी अपनी निगरानी भूमिका निभाने में विफल रही। बता दें कि एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट आर्थिक मामलों की निगरानी के लिए उत्तर प्रदेश शासन को आदेश जारी किए हैं। मुख्य सचिव को जारी किए आदेश में सर्वोच्च अदालत ने प्राधिकरण में मुख्य सतर्कता अधिकारी की नियुक्ति करने और एसआईटी गठित कर मामलों की नए सिरे से जांच करने के आदेश दिए हैं। मुख्य सतर्कता अधिकारी कैग से प्रतिनियुक्ति पर करने की सलाह भी कोर्ट ने दी है।
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