/young-bharat-news/media/media_files/2025/02/02/w2N5enHSowXoTSl80VH6.jpg)
ग्रेटर नोएडा ,वाईबीएन नेटवर्क।
NAAC : रिश्वत के बदले कॉलेजों को मनचाही ए प्लस प्लस रेटिंग देने के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो(CBI)ने बड़ी कारवाई करते हुए ग्रेटर नोएडा स्थित जीएल बजाज संस्थान के निदेशक मानस मिश्रा समेत राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) निरीक्षण समिति के 10 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। मानस मिश्रा नैक निरीक्षण समिति के सदस्य है। कई अन्य शिक्षाविद भी सीबीआइ के रेडार पर है और रिश्वत लेकर नैक की रेटिंग लेने वाले नोएडा के कई नामी कॉलेजों पर कारवाई की तलवार लटकी हुई है। इससे कालेज प्रबंधकों में भारी हड़कंप मचा हुआ है।
बेहतर रेटिंग से तय होती है कॉलेजों में एडमिशन की मोटी फीस
बता दें कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिए विश्वविद्यालय व इंजीनियरिंग कॉलेज बेहतर रेटिंग सुधारने के लिए राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से रेटिंग प्राप्त करते हैं। इस खेल के खुलासे से लालच, फरेब, जालसाजी और रिश्वत का नंगा सच सामने आया है। जिस संस्थान की रेटिंग अच्छी होती है, विद्यार्थी उन्हीं संस्थानों में भारी-भरकम फीस देकर प्रवेश लेते हैं। इस मामले में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) निरीक्षण समिति के 10 सदस्यों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। इनमें एनएएसी के अध्यक्ष और जेएनयू के प्रोफेसर भी शामिल हैं। रेड के दौरान इनके पास से नगदी, मोबाइल और लैपटॉप जब्त किए गए हैं।
कई कॉलेजों पर लटकी जांच की तलवार
आरोप है कि रिश्वत के बदले कॉलेज को मनचाही ए प्लस प्लस रेटिंग दी गई है, इसमें जीएल बजाज संस्थान ग्रेटर नोएडा के निदेशक मानस मिश्रा भी शामिल हैं,जो निरीक्षण समिति के सदस्य हैं। ग्रेटर नोएडा में कई इंजीनियरिंग कॉलेज नैक ए प्लस की रेटिंग लेकर विद्यार्थियों को अपने संस्थान में प्रवेश के लिए बड़े बड़े होर्डिंग लगाते हैं। ऐसे कई कॉलेज हैं जो नैक की रेटिंग लिए हैं उन कॉलेजों पर भी सीबीआई जांच की तलवार लटक रही है। नॉलेज पार्क के एक कॉलेज के प्रतिनधि ने बताया कि नैक रेटिंग तो मिल गयी है, इसे कायम रखना बड़ी चुनौती बन गई है। सही तरीके से जांच हो गई तो कई कॉलेजों की नैक रेटिंग जमीन पर आ जाएगी।
On Line: संवाद में शिक्षिकाओं से प्लास्टिक बहिष्कार पर संवाद
सीबीआई की रेडार पर हैं कई कॉलेज
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कई कॉलेज जो गुणवत्ता के मानक पूरा नहीं किया है फिर भी उन्हें नैक की रेटिंग मिल गयी है। सीबीआई ने वड्डेसवरम, गुंटूर (आंध्र प्रदेश) की एक शैक्षणिक संस्था और एनएएसी निरीक्षण समिति के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, आरोप है कि शैक्षणिक संस्था के पदाधिकारियों ने एनएएसी निरीक्षण समिति को रिश्वत दी, ताकि उनकी यूनिवर्सिटी को बेहतर रेटिंग मिल सके। इस मामले में कई नामचीन शिक्षाविदों और प्रशासकों की संधि उजागर हुई है। सीबीआई ने एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश करते हुए आंध्र प्रदेश के गुंटूर स्थित वड्डेसवरम में एक शैक्षणिक संस्था के पदाधिकारियों और राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद निरीक्षण समिति के 10 सदस्यों को गिरफ्तार किया है।
यह भी पढ़ें: Supreme court: दिल्ली में रोहिंग्याओं के बसने के स्थान बताए एनजीओ
गिरफ्तार व्यक्तियों की सूची
मानस कुमार मिश्रा ः निदेशक, जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और एनएएसी निरीक्षण समिति के सदस्य
जी.पी. सरधी वर्मा : कुलपति, केएल एजुकेशन फाउंडेशन (केएलईएफ), गुंटूर
कोनेरू राजा हरेन : उपाध्यक्ष, केएलईएफ
ए. रामकृष्ण : निदेशक, केएल विश्वविद्यालय, हैदराबाद
समरेंद्र नाथ साहा : कुलपति, रामचंद्र चंद्रवंशी विश्वविद्यालय और एनएएसी निरीक्षण समिति के अध्यक्ष
राजीव सिजारिया : प्रोफेसर, जेएनयू, दिल्ली और एनएएसी निरीक्षण समिति के सदस्य समन्वयक
डी. गोपाल : डीन, भारत इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ और एनएएसी निरीक्षण समिति के सदस्य
राजेश सिंह पवार : डीन, जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी, भोपाल और एनएएसी निरीक्षण समिति के सदस्य
गायत्री देवराज : प्रोफेसर, दावणगेरे विश्वविद्यालय और एनएएसी निरीक्षण समिति के सदस्य
बुलु महराना : प्रोफेसर, संबलपुर विश्वविद्यालय और एनएएसी निरीक्षण समिति के सदस्य
कैसे तैयार होती है NAAC ग्रेडिंग ?
• NAAC अधिकारी और बिचौलिए शैक्षणिक संस्थानों के साथ संबंध स्थापित करते हैं जो उनकी ग्रेडिंग में हेराफेरी करते हैं।
• विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों और सलाहकारों सहित निरीक्षण समिति के सदस्य रेटिंग निर्धारित करते हैं।
• जो संस्थान वास्तविक मान्यता मानकों को पूरा करने में विफल रहते हैं, वे रिश्वत देकर रेटिंग लेते हैं।
• संस्थाएं उच्च ग्रेड हासिल करने के लिए कीमत तय करते हैं।
• रिश्वत की राशि NAAC ग्रेड (A, A+, A++) के आधार पर निर्धारित की जाती है।
• भुगतान के तरीके तय किए जाते हैं - नकद, आभूषण के रूप में या अन्य अप्रत्यक्ष वित्तीय लेनदेन में।
• कुछ संस्थान निरीक्षण से पहले अग्रिम भुगतान करते हैं।
यह भी पढ़ें: Action Against Corruption: सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामले में जेएनयू के प्रोफेसर समेत 10 नामी शिक्षाविद को किया गिरफ्तार