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इलाहाबाद हाइकोर्ट ने नोएडा स्पोर्ट्स सिटी घोटाले में सीबीआई और ईडी जांच का आदेश दिया है। इस मामले में बिल्डरों, कंसोर्टियम, और नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ कथित तौर पर घर खरीदारों के पैसे हड़पने, नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों, डेवलपर्स और घोटाले से जुड़े अन्य व्यक्तियों सहित सभी शामिल लोगों के खिलाफ जांच शुरू करने का आदेश दिया है। फैसले में पूरे स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट को भ्रष्टाचार का एक पाठ्यपुस्तक उदाहरण बताया गया।
नोएडा में चार स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाएं थीं
न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने नोएडा में चार स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाओं में से तीन को कवर करते हुए दस अलग-अलग फैसले दिए। जिसमें प्रमुख डेवलपर्स और कंसोर्टियम हिस्सेदारों दोनों की जवाबदेही को ठहराया गया। कोर्ट ने लैंड यूज वायलेशन, वित्तीय अनियमितता, दिवालिया कार्यवाही और स्पोर्ट सुविधाओं का पूरा न होने सहित कई अन्य पहलुओं की जांच करने के आदेश दिए। अदालत ने कहा कि उसके पास जांच को सीबीआई को सौंपने के अलावा कोई अन्य रास्ता नहीं है।
चार सेक्टर में 3 डेवलपर्स पर सवाल
कोर्ट ने पाया कि नोएडा प्राधिकरण से महत्वपूर्ण लाभ और रियायतें लेने के बाद भी डेवलपर्स ने अनिवार्य खेल सुविधाओं को बनाने की बजाए केवल व्यावसायिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया। ये ऑर्डर सेक्टर 78, 79 और 101 में स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाओं से संबंधित हैं। जहां ज़ानाडु एस्टेट प्रमुख डेवलपर है। सेक्टर 150 में दो स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाएं जिसे लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स और लोटस ग्रीन्स कंस्ट्रक्शन द्वारा विकसित की गईं। वहीं सेक्टर 78-79 में परियोजनाओं के प्रमुख डेवलपर्स और लॉजिक्स की स्पोर्ट्स सिटी परियोजना वर्तमान में दिवालियेपन की कार्यवाही से गुजर रही है। जिसको कोर्ट ने वित्तीय और कानूनी दायित्वों से बचने के लिए एक जानबूझकर रणनीति करार दिया।
राज्य सरकार को वित्तीय अनियमितता की करे जांच
दरअसल, स्पोर्टस सिटी के प्रमुख डेवलपर्स ने याचिका के जरिए नोएडा प्राधिकरण द्वारा लिए जा रहे एक्शन से बचने की मांग कोर्ट से की थी। हाइकोर्ट ने उनके दावों को खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि डेवलपर्स मूल योजना के अनुसार परियोजना का निर्माण नहीं कर सके। इनसाल्वेंसी को देनदारी से बचने के लिए ढाल बनाते रहे। इस मामले में नोएडा प्राधिकरण के पास लंबित बकाया वसूलने और कानूनी कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है। साथ ही राज्य सरकार को वित्तीय कुप्रबंधन और धोखाधड़ी की आगे की जांच शुरू करनी चाहिए।
सीएजी ने 9000 करोड़ का बताया घोटाला
बता दे सीएजी ऑडिट में स्पोर्ट्स सिटी आवंटन में बड़ी वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा किया था। जिससे नोएडा प्राधिकरण और राज्य सरकार को 9000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। ऑडिट में पाया गया कि डेवलपर्स को जमीन कम कीमत पर दी गई। डेवलपर्स द्वारा नोएडा प्राधिकरण को साइड लाइन करते हुए स्वामित्व का अनधिकृत हस्तांतरण किया गया। लीज प्रीमियम, जुर्माना और ट्रांसफर चार्ज तक नहीं दिए गए। साथ ही खेल के बुनियादी ढांचे के पूरा न होने के बावजूद अधिभोग प्रमाण पत्र जारी किए गए थे।
सीएजी के रिपोर्ट के बाद भी नहीं लिया एक्शन
कोर्ट ने कहा कि सीएजी रिपोर्ट 2021 में प्रकाशित हुई थी। फिर भी न तो नोएडा प्राधिकरण और न ही राज्य सरकार ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने या बिल्डरों से बकाया वसूलने जैसी कोई कार्रवाई की। उठाया गया एकमात्र कदम डेवलपर्स को भुगतान की मांग के लिए नोटिस भेजा गया था। जिस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण और राज्य के अधिकारियों को उनकी निष्क्रियता और मिलीभगत के लिए फटकार लगाते हुए कहा कि पिछले कुछ सालों में प्राधिकरण में कई बड़े अधिकारी आए और गए लेकिन किसी भी अधिकारी ने चिंता नहीं जताई या घाटे की भरपाई करने का प्रयास नहीं किया।
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क्या है स्पोर्टस सिटी परियोजना इसे समझे
नोएडा प्राधिकरण ने पहली बार 16 अगस्त 2004 को स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाओं के विकास का प्रस्ताव रखा, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में विश्व स्तरीय खेल सुविधाएं स्थापित करना था। 25 जून 2007 की बैठक में परियोजना के लिए पूरे नोएडा में 311.60 हेक्टेयर भूमि की पहचान की। 8 अप्रैल 2008 की बोर्ड बैठक में स्पोर्ट्स सिटी के लिए निर्धारित भूमि को बढ़ाकर 346 हेक्टेयर कर दिया गया। जिसमें सेक्टर 76, 78, 79, 101, 102, 104 और 107 शामिल थे। यह निर्णय आगामी राष्ट्रमंडल खेल 2010 से प्रभावित था।
परियोजना को आकार देने के लिए, ग्रांट थॉर्नटन को योजना का मसौदा तैयार करने और भूमि आवंटन के लिए दिशानिर्देश स्थापित करने के लिए नियुक्त किया गया। 18 सितंबर 2008 तक, नोएडा प्राधिकरण ने इन योजनाओं को संशोधित मास्टर प्लान 2031 में शामिल किया। 1 अक्टूबर, 2008 और 4 नवंबर, 2008 को परियोजना की रूपरेखा वाले ब्रोशर को अंतिम रूप दिया गया।
सितंबर 2010 में एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ, जब स्पोर्ट्स सिटी के लिए कुल भूमि क्षेत्र 311 हेक्टेयर से घटाकर 150 हेक्टेयर कर दिया गया। ग्रांट थॉर्नटन को फिर से एक संशोधित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का काम सौंपा गया, जिससे भविष्य के आवंटन के लिए आरक्षित मूल्य का निर्धारण किया गया। 2010-11 और 2015-16 के बीच 798 एकड़ में चार स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाएं शुरू की गईं।
- 11 स्पोर्ट्स एक्टिविटी को बनाया जाएगा
- गोल्फ कोर्स (नौ होल्स) की निर्माण करीब 40 करोड़ रुपए
- मल्टीपर्पज प्ले फील्ड का निर्माण 10 करोड़ रुपए
- टेनिस सेंटर का निर्माण 35 करोड़ रुपए
- स्विमिंग सेंटर का निर्माण 50 करोड़-
- प्रो-शाप्स/फूड बेवरेज का निर्माण 30 करोड़
- आईटी सेंटर / एडमिनिस्ट्रेशन / मीडिया सेंटर 65 करोड़
- इंडोर मल्टीपर्पज स्टोर्स (जिम्नैस्टिक्स, बैडमिंटन, टेबल टेनिस
- स्कायश, बास्केट बाल, वाली वाल रॉक क्लाइंबिंग) 30 करोड़
- क्रिकेट अकादमी, इंटरनल रोड एंड पार्क 25 करोड़
- हॉस्पिटल. सीनियर लिविंग/मेडिसिन सेंटर 60 करोड़
मार्च 2024 तक चारो बिल्डर पर प्राधिकरण का बकाया
डेवलपर्स भूखंड सेक्टर बकाया
जनाडु इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड (कंसोटियम) सेक्टर-78, 79 ओर 101 1356.88 करोड़
लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड एससी-01/150 2964.23 करोड़
लोट्स ग्रीन्स कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (कंर्सोटियम) एससी-02/150 2969.87 करोड़