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Photograph: (young Bharat)
ग्रेटर नोएडा, वाईबीएन संवाददाता।
स्वाट टीम व थाना दनकौर पुलिस के संयुक्त प्रयास से भारत के अलग-अलग राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़. उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, कर्नाटक)में धर्मकांटों पर तुलने वाले सामान (सरिया, बदरपुर, रोड़ी इत्यादि) के वजन को इलेक्ट्रॉनिक चिप लगाकर रिमोट के माध्यम से अपनी इच्छा के अनुसार तौलने वाले चार आरोपियों को थाना दनकौर क्षेत्र के सलारपुर से गिरफ्तार किया गया है। ये इलेक्ट्रॉनिक चिप और रिमोट के जरिए धर्मकांटों में हेरफेर कर सामान का वजन अपनी मर्जी से घटा-बढ़ा सकते थे।
करीब 50 लाख रुपये की अवैध कमाई की
गिरफ्तार आरोपियों में कपिल कुमार, मनमोहन सिंह, विनय कुमार शर्मा और धीरज शर्मा शामिल हैं। इन अपराधियों की गिरफ्तारी थाना दनकौर क्षेत्र के सलारपुर अंडरपास से हुई। पुलिस ने इनके पास से भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक चिप, रिमोट और उपकरण बरामद किए हैं, जिनकी कीमत करीब 75 लाख रुपये आंकी गई है। यह गिरोह धर्मकांटों में इलेक्ट्रॉनिक चिप लगाकर रिमोट के जरिए वजन को अपनी मर्जी के मुताबिक कम-ज्यादा कर देता था। जब किसी ट्रक या अन्य वाहन में माल तौला जाता, तो आरोपी रिमोट के जरिए वजन घटा देते, जिससे व्यापारी, कंपनियां और आम जनता को भारी नुकसान होता। दूसरी ओर, खरीददार और स्क्रैप माफिया को कम वजन पर अधिक लाभ मिलता था। गिरोह ने अब तक इस तकनीक का इस्तेमाल कर करीब 50 लाख रुपये की अवैध कमाई कर ली थी। पुलिस को जांच में पता चला है कि यह गिरोह महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में सक्रिय था।
शिकायत के बाद की गई कारवाई
डीसीपी साद मियां खान ने बताया कि पुलिस को लंबे समय से धर्मकांटों में वजन कम दिखाने की शिकायतें मिल रही थी। कई व्यापारी और ट्रांसपोर्ट कंपनियां नुकसान की बात कह रही थी, लेकिन ठोस सबूत नहीं मिल रहे थे। आखिरकार, स्वाट टीम और दनकौर पुलिस ने खुफिया जानकारी जुटाकर गिरोह को ट्रैक किया और चारों अपराधियों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तारी के बाद जब पुलिस ने पूछताछ की, तो पूरा नेटवर्क उजागर हो गया। आरोपी कपिल कुमार ने बताया कि उसने ऑनलाइन इंडियामार्ट वेबसाइट के जरिए विनय कुमार शर्मा और धीरज शर्मा से संपर्क किया था। ये दोनों इलेक्ट्रॉनिक्स विशेषज्ञ थे और इन्होंने खासतौर पर धर्मकांटों में हेरफेर करने वाली चिप बनाई थी।
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5 से10 लाख में बेचते थे चिप
यह गिरोह धर्मकांटों के मालिकों को चिप बेचने के लिए 5 से 10 लाख रुपये तक की मांग करता था, जबकि एक चिप को बनाने की लागत सिर्फ 10 से 20 हजार रुपये थी। इस तरह, यह पूरा खेल करोड़ों रुपये तक फैल चुका था। पूछताछ में सामने आया कि गिरोह का मास्टरमाइंड कपिल कुमार था। जिसने मनमोहन सिंह के साथ मिलकर इस ठगी का नेटवर्क तैयार किया था। वहीं, विनय कुमार शर्मा और धीरज शर्मा ने चिप बनाने का काम संभाला था। विनय कुमार एक इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर था और उसने इंडियामार्ट साइट पर अपनी प्रोफाइल बनाकर इस तकनीक को बेचने की पेशकश की थी। कपिल और मनमोहन ने इस तकनीक को कई राज्यों में फैलाया और धर्मकांटा मालिकों को चिप बेचकर मोटी कमाई की।
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67 रिमोट, 30 इलेक्ट्रॉनिक चिप बरामद
डीसीपी ने बताया कि गिरोह के पास से भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक सामान बरामद हुआ, जिसमें 67 रिमोट, 30 इलेक्ट्रॉनिक चिप, एक डेस्कटॉप, दो यूपीएस, एक लैपटॉप, फेडमैन किट सेट, वेट इंडिकेटर, लोड सेल ट्रांसड्यूसर, पावर सप्लाई केबल, बैटरियां, सोल्डर मशीन, कनेक्टिंग वायर और अन्य उपकरण शामिल है। इन उपकरणों की कुल कीमत करीब 75 लाख रुपये बताई जा रही है, जबकि चिप बनाने में इस्तेमाल होने वाले अन्य उपकरणों की कीमत करीब 5 लाख रुपये है। यह गिरोह व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों और आम जनता को करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है। पुलिस इनके नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही है।