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नोएडा, वाईबीएन डेस्क। 2006 के चर्चित निठारी कांड में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आरोपी सुरेंद्र कोली को अंतिम लंबित मामले में भी बरी कर दिया। 19 वर्षों की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद निठारी से गायब हुए बच्चों के परिवार हार गए और निठारीकांड कई बड़े सवाल छोड़ गया। अपना फैसला सुनाते समय सर्वोच्च अदालत ने जांच में खामियों का जिक्र करने के साथ ही यह भी कहा- अनुमान और अंदाजे के आधार पर कानून किसी को सजा नहीं दे सकता। 12 मामलों में बरी हो चुके सुरेंद्र कोली को अंतिम मामले में कोर्ट ने बरी कर दिया। यह मामला 15 वर्षीय लड़की के कथित बलात्कार और हत्या से जुड़ा था।
जानिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, जस्टिस सूर्यकांत और विक्रम नाथ की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि “आपराधिक कानून केवल शक या अनुमान के आधार पर सजा नहीं दे सकता।” कोर्ट ने आदेश दिया कि अगर किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हैं तो कोली को तुरंत रिहा किया जाए। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में असफल रहा है। साथ ही जांच एजेंसियों की गंभीर लापरवाही पर टिप्पणी करते हुए कहा, “संदेह चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, वह सबूत का विकल्प नहीं हो सकता।” सुप्रीम कोर्ट ने जांच में देरी, गवाहों की अनदेखी, फोरेंसिक साक्ष्यों के गलत इस्तेमाल और ऑर्गन ट्रेड एंगल की अनदेखी जैसी कमियों को रेखांकित किया। कोर्ट ने कहा, “यह अत्यंत खेदजनक है कि इतने लंबे समय तक जांच के बाद भी वास्तविक अपराधी की पहचान कानूनी मानकों के अनुसार स्थापित नहीं हो सकी।”
2006 में गिरफ्तार हुआ था कोली
सुरेंद्र कोली को 2006 में गिरफ्तार किया गया था और विभिन्न मामलों में मौत की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2015 में उनकी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदला था। बाद में अक्टूबर 2023 में कोली और मोनिंदर सिंह पंधेर दोनों को सभी निठारी मामलों से बरी कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 30 जुलाई 2025 को उन बरी आदेशों पर दायर सभी अपीलें भी खारिज कर दी थीं। noida news | Surender Koli Nithari Case | supreme court
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