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नोएडा में दुकान पर नेम प्लेट को लेकर राजनीति गरमाई, आरएलडी महासचिव ने कहा- पोस्टर लगाने से कोई हिंदू नहीं बन जाता

राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा कि कुछ लोग नाम के जरिए सस्ती राजनीति कर रहे हैं और लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।

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Mukesh Pandit
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नोएडा/नई दिल्ली, आईएएनएसदुकान के नाम को लेकर शुरू हुए विवाद ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने इस मुद्दे को लेकर कहा कि किसी के कहने या पोस्टर लगाने से कोई हिंदू नहीं बन जाता।  राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा कि कुछ लोग नाम के जरिए सस्ती राजनीति कर रहे हैं और लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।

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राजनीतिक मुद्दा बना नाम लिखना

त्रिलोक त्यागी ने कहा, "दुकानों पर गलत नाम लिखे जा रहे हैं और इसे जानबूझकर एक राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है। यह नामकरण के नाम पर राजनीति है।"उन्होंने इस तरह की गतिविधियों को समाज को बांटने वाला बताया और कहा कि इससे नफरत फैल रही है। उन्होंने बरेली में देखी गई एक घटना का भी जिक्र किया। त्यागी ने बताया, "आज सुबह मैं बरेली में था, वहां कुछ लड़कों को देखा जो सब्जियों की ठेलियों पर 'मैं हिंदू हूं' लिखे पोस्टर चिपका रहे थे।"

पोस्टर लगाने से कोई हिंदू नहीं बन जाता

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उन्होंने इस पर नाराजगी जताई और कहा कि किसी के कहने या पोस्टर लगाने से कोई हिंदू नहीं बन जाता। त्यागी ने कहा, "जो जन्म से हिंदू है, वही सनातनी है। ये जो लोग अब भगवा कपड़े पहनकर खुद को हिंदू साबित करने की कोशिश कर रहे हैं, वो दिखावा कर रहे हैं। जिनका कोई अता-पता नहीं है, वो अब खुद भगवा पहनकर धार्मिक ठेकेदार बनने की कोशिश कर रहे हैं। ये पूरी तरह से गलत है, ये बकवास है।"

धर्म और आस्था को राजनीति का हिस्सा बनाना खतरनाक

उन्होंने कहा कि धर्म और आस्था को राजनीति का हिस्सा बनाना बेहद खतरनाक है। त्यागी ने कहा, "धार्मिक भावनाओं को भड़काकर कुछ लोग अपना राजनीतिक लाभ ढूंढ रहे हैं, लेकिन जनता अब समझदार हो चुकी है। वह नफरत फैलाने वालों को पहचान चुकी है।"

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राष्ट्रीय लोकदल नेता ने प्रशासन से भी अपील की कि इस तरह की गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाई जाए और सख्त कार्रवाई हो। उन्होंने कहा, "दुकानों के नाम को लेकर जबरन बदलाव या कोई विशेष धर्म को बढ़ावा देना लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ है।"

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