/young-bharat-news/media/media_files/2025/02/28/ZsMYyDu6osIuWhcEQTg2.jpg)
00:00
/ 00:00
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
नोएडा, वाईबीएन नेटवर्क
नोएडा में स्पोर्टस सिटी योजना के तहत हुए 9000 करोड़ के घोटाले को लेकर नया खुलासा हुआ है। CAG की रिपोर्ट के मुताबिक, इस योजना को राज्य सरकार की स्वीकृति के बिना ही शुरू किया गया था। रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया कि स्पोर्टस सिटी योजना 2008 में शुरू की गई थी, लेकिन इसके लिए भूमि आवंटन मई 2011 में किया गया, जबकि इस दौरान उप्र सरकार से कोई औपचारिक स्वीकृति नहीं ली गई थी। इस मामले की जांच अब सीबीआई और ईडी द्वारा की जाएगी।
स्पोर्टस सिटी योजना का उद्देश्य खेल सुविधाओं का विकास था, लेकिन योजना के तहत बिल्डरों को दी गई जमीन का अधिकांश हिस्सा खेल सुविधाओं के बजाय फ्लैट बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया। योजना के तहत 70 प्रतिशत भूमि खेल सुविधाओं के लिए निर्धारित की गई थी, लेकिन बिल्डरों ने इसका उल्लंघन कर अधिक भूमि पर मुनाफे के लिए आवासीय परियोजनाएं शुरू कर दीं, जिससे परियोजना का मूल उद्देश्य ही प्रभावित हो गया।
सीएजी ने इस मामले में नोएडा प्राधिकरण के जवाब से संतुष्ट नहीं होते हुए कहा कि स्पोर्टस सिटी के लिए भूमि उपयोग का अनुमोदन सरकार से 2008 में नहीं लिया गया था। नोएडा प्राधिकरण ने बिना राज्य सरकार से स्वीकृति प्राप्त किए बिना नई भू-उपयोग श्रेणी का निर्माण कर लिया था, जो मास्टर प्लान में भी शामिल नहीं था। इसके कारण पूरे परियोजना का आधार ही असंवैधानिक था।
स्पोर्टस सिटी की परियोजना को चार बड़े भूखंडों में विभाजित किया गया था, जिसमें सेक्टर-78, 79, 101, 150 और 152 के क्षेत्र शामिल थे। इन भूखंडों को चार बिल्डरों को आवंटित किया गया था, लेकिन इन बिल्डरों ने इन भूखंडों को 84 छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर लाभ उठाया। इस प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन करते हुए मुनाफे को प्राथमिकता दी गई, जो पूरी योजना की वैधता पर सवाल खड़ा करता है।
सीएजी की रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर यह कहा गया कि बिना राज्य सरकार से अनुमोदन लिए इस योजना की शुरुआत करना अनियमित था। अब इस पूरे मामले की जांच सीबीआई और ईडी द्वारा की जाएगी, ताकि इस घोटाले में शामिल सभी दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके।