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नोएडा,वाईबीएन नेटवर्क।
सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक के 16 प्रोजेक्टों को एनबीसीसी को देने के नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के आदेश पर स्टे लगा दिया है। अदालत ने नए सिरे से सुपरटेक और अन्य कंपनियों से 16 प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए प्रस्ताव मांगे हैं। सुपरटेक ने दावा किया है कि वह 12 से 24 महीने में 20 हजार लोगों को घर दे देगी। जिसका प्रस्ताव उसके पास तैयार है।
एनबीसीसी को सौंपी थी जिम्मेदारी
12 दिसंबर 2024 को एनसीएलएटी ने सभी प्रोजक्ट्स को पूरा करने की जिम्मेदारी एनबीसीसी को सौंपी थी। सभी औपचारिकता पूरी करने के साथ मई 2025 में एनबीसीसी को काम शुरू करना था। दिसंबर 2024 को एनसीएलएटी ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनबीसीसी को सुपरटेक लिमिटेड की करीब 9,500 करोड़ रुपये की 16 आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कहा था। इन परियोजनाओं के तहत उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और कर्नाटक में 49,748 मकान हैं।
12 से 23 माह में पूरा करने का था लक्ष्य़
एनबीसीसी को ये काम 12 से 36 महीनों में पूरा करने को कहा गया था। खास बात यह थी कि इसके लिए बायर्स को सिर्फ वहीं पैसा देना होता जो बिल्डर पर उसका पेंडिंग है। हालांकि इन प्रोजेक्ट में बनने वाले फ्लैट का अधिकांश पैसा बायर्स बिल्डर को दे चुके है। इन प्रोजेक्ट में नोएडा , ग्रेटरनेाएडा और यमुना विकास के करीब 20 से 25 हजार बायर्स है।
इन प्रोजेक्ट पर होगा काम
इकोविलेज-3, स्पोर्टस विलेज, इकोसिटी, नाथआई, अपकंट्री, इकोविलेज-1, मेरठ स्पोर्टस सिटी, ग्रीन विलेज, हिलटाउन, अरावली, रिवर फ्रेंष्ट, इकोविलेज, केपटाउन आदि प्रोजेक्ट शामिल है। जिनको पूरा करने की जिम्मेदारी अब एनबीसीसी को होगी।