YBN Network PALAMU:
पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर स्थित जिला मानसिक अस्पताल की अब अलग पहचान बन गई। यहां चार राज्यों के मानसिक रोगी पहुंचतकर इलाज करा रहे हैं। हर साल पलामू प्रमंडल समेत अन्य राज्यों के दूरदराज से आने वाले रोगियों की संख्या बढ़ रही है। इस अस्पता में झारखंड के पलामू,गढ़वा,लातेहार जिला समेत उतरप्रदेश ,छत्तीसगढ़ व बिहार से मानसिक रोगी इलाज कराने आते हैं। इसमें अधिकांश मरीज मानसिक रूप से स्वस्थ भी हाे रहे हैं। इस मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में फिलवक्त 8525 मानसिक रोगी पंजीकृत हैं। इनमें 80 प्रतिशत रोगी पलामू प्रमंडल व 20 प्रतिशत रोगी बिहार, उतरप्रदेश व छतीसगढ़ के पंजीकृत हैं। इनमें पलामू में 45 प्रतिशत , गढ़वा में 25 प्रतिशत व लातेहार जिले के 10 प्रतिशत रोगियों का इलाज इस अस्पताल में हो रहा है। जानकारी के अनुसार इस अस्पताल में प्रतिवर्ष औसतन इलाजरत मानसिक रोगियों की संख्या 8 हजार है। इस अस्पताल में प्रतिदिन 6 नए मानसिक रोगियों का पंजीकरण किया जाता है। इस तरह नए मानसिक रोगियों का सालाना औसत 1700 है। मालूम हो कि प्रत्येक वर्ष इस अस्पताल में 13600 मानसिक रोगियों का ईलाज होता है। इसमें 8000 रोगी हर वर्ष इलाजरत रहते हैं। जानकारी के अनुसार इलाजरत रोगियों में 65 प्रतिशत रोगी जटिल मानसिक रोग के शिकार होते हैं। शेष 35 प्रतिशत सामान्य मानसिक रोगी। इसमें 4 से 5 प्रतिशत रोगियों को इलाज के लिए रांची रिनपास रेफर किया जाता है।
दवा व भर्ती के लिए रोगी रिनपास भेजे जाते हैं। इस अस्पताल में बिहार के गया, औरंगाबाद व रोहतास जिला, उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिला व छतीसगढ़ के अंबिकापुर, बलरामपुर-रामानुजगंज जिला समेत बंगाल से भी रोगी इलाज कराने आते हैं।
क्या कहते हैं प्रभारी मनोचिकित्सा पदाधिकारी:-
मेदिनी राय मेडिकल कालेज एंड अस्पताल के प्रभारी मनोचिकित्सा पदाधिकारी डा. आशीष कुमार ने बताया कि अशिक्षा व कलंक बोध के कारण मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। समय पर इलाज नहीं होना भी एक मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि पलामू जिले में अत्यधिक नशापान के कारण मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। युवा वर्ग में मोबाईल व इंटरनेट की बेवजह इस्तेमाल से भी मानसिक रोगी बढ़ रहे
हैं । उन्होंने कहा कि मानसिक रोगियों के लिए सदर अस्पताल में दवा उपलब्ध है। 4 से 5 प्रतिशत रोगी रांची स्थित रिनपास रेफर किए जाते हैं। उन्हें वहां स्पोर्टिंग दवा के साथ-साथ हास्पीटल केयर की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि कई दवा के अभाव में गरीब रोगियों को दवा लेने के लिए रांची जाना पड़ता है। सामर्थ लोग की सहमति पर बाहरी दवा लिखी जाती है।