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मप्र के दमोह में प्रमाण पत्र के साथ पलामू के शिक्षक-शिक्षिकाएं, Photograph: (ORIGNAL)
YBN PALAMU:-
इसमें झारखंड समेत मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश,हरियाणा, छत्तीसगढ़, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु,राजस्थान व उत्तराखंड (10 राज्य ) के 65 शिक्षक शामिल हुए। इसमें प्राकृतिक व सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में विद्यालयों की भूमिका पर व्याख्यान हुआ। इसमें इन राज्यों की स्थानीय संस्कृति व ऐतिहासिक विरासत को समावेशन किया गया। एक दूसरे के बीच संस्कृतियों को साझा किया गया। पलामू जिला के लेस्लीगंज प्लस टू उच्च विद्यालय में पदस्थापित शिक्षक अजय कुमार,प्लस टू पलामू जिला स्कूल के दीपक कुमार,गिरिवर प्लस टू उवि के जितेंद्र मेहता,प्लस टू रन्ने भरी उवि की शिक्षिका सोनी कुमारी,आसेहार प्लस टू उवि की अणपुनता कुमारी व पांकी प्लस टू उवि की शिक्षिका चंद्रकांता कुमारी ने अपने झारखंड राज्य की संस्कृति से अवगत कराया। झारखंड के खनिज संपदा, विशेष संस्कृति वाद्य यंत्र , जनजातीय संस्कृतियों व ऐतिहासिक स्थानों पलामू किला, देवघर का मौली मंदिर के संबंध में व्याख्यान दिया। देश के विभिन्न कोने से आए विद्वान, लेखकों व कवियों ने शिक्षकों के बीच ज्ञान साझा किया। मांदर के थाप से सभी शिक्षकों को आकर्षित किया। इस संबंध में अजय ने बताया कि जेसीआरटी व पलामू के जिला शिक्षा पदाधिकारी ने उन्हें उक्त प्रशिक्षण केंद्र में भेजकर उपकार किया। बताया कि शिक्षकों को मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक भ्रमण कराया गया। इसमें खजुराहो का मंदिर व रानी दमाती संग्रहालय का भ्रमण कराया गया। बीच-बीच में सभी शिक्षकों के बीच प्रोजेक्ट वर्क व प्रश्नोत्तरी कराया गया। इस का उद्देश्य था कि निष्कर्ष निकाला जा सके कि हम इन सांस्कृतिक व प्राकृतिक विरासतों को कैसे संरक्षित करें। विद्यालय में जाकर किस प्रकार से बच्चों को बताएं कि भविष्य में इन संसाधनों को सुरक्षित करना है।