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करम की डाली विसर्जन से पूर्व पूजा अर्चना करते आदिवासी समाज के लोग। Photograph: (ORIGINAL)
YBN PALAMU:-
इसके बाद नृत्य संगीत का कार्यक्रम पुनः शुरू हो गया। बुधवार की पूरी रात क्षेत्र के कई गांव करम गीतों से गुंजायमान रहा। अखरा पर मांदर व नगाड़े की थाप पर युवतियां थिरकती रही। जिले के कई उरांव जनजातीय गांवों में करम पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया। आदिवासी समुदाय समेत अन्य लोगों ने उपवास रख कर करम व्रत रखा। शाम को नाचते गाते हुए पारंपरिक तरीके से करम वृक्ष की डालियों को काटकर लाया गया। सरना बालिकाओ ने करम डाली को अखरा तक पहुंचाया। विधिवत पूजा अर्चना के बाद करम टहनी की संध्या बेला में पाहन ने पारंपरिक तरीके से पूजा अर्चना कर स्थापित कराया। उन्होंने सात भाइयों की कथा सुनाई। पूजा समाप्ति के बाद नृत्य-गीत का दौर शुरू हुआ। यह पूरी रात चलता रहा। युवक-युवतियां मांदर के थाप अखरा में करम गीत व नृत्य पर थिरकते रहे। आदि कुरुख सरना समाज के जिला अध्यक्ष मिथिलेश उरांव ने बताया कि भादो शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन प्रकृति पर करमा मनाया जाता है। यह भाई-बहन के अटूट प्रेम का संदेश देता है। शाहपुर में श्यामलाल उरांव के नेतृत्व में करमा पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया। जयनगरा गांव में जिला पाहन बिंदेश्वरी उरांव व स्थानीय पाहन उपेंद्र उरांव ने करम टहनी की पूजा अर्चना की। पोखरा कला में केंद्रीय कमेटी की ओर से आयोजित करम महोत्सव में जिला अध्यक्ष मिथिलेश उरांव समेत श्रवण उरांव छोटू उरांव, करम समिति अध्यक्ष विकास उरांव, सचिव निरंजन उरांव कोषाध्यक्ष धीरज उरांव, दशरथ उरांव, जगदीश उरांव, पाहन मनेश उरांव, राम किशुन उरांव, गौतम जयसवंत उरांव, संदीप, पंचम, धर्मवीर, मंदीप, देवन, निरा क्रांति, सिवानी सिमरन सूर्य, मंगर उरांव सहित काफी संख्या में लोग मौजूद थे।